माँ के संघर्ष से प्रेरित होकर लिखी कविता ‘नई लड़कियाँ’

न्यूज़ क्राइम 24 (सागर इंडिया) महिलाओं के संवेदनाओं के पक्ष में खड़ा होना ही वास्तविक महिला सम्मान है। माँ के संघर्ष से प्रेरित होकर फिल्म अभिनेता व कवि सागर इंडिया लिखने लगे लड़कियों पर कविताएं। साहित्य समाज का दर्पण है, और इस समाज के दर्पण पर लड़कियों के महिलाओं के संवेदनाओं की तस्वीर अपनी कविताओं से बना रहे हैं सागर इंडिया। जहां आज लड़कियों पर कविता के नाम पर साहित्य के नाम पर कविता सिर्फ उनकी सुंदरता को लेकर लिखी जा रही है। जो पायल बिंदी होठ लाली इत्यादि है, पर सागर इसे वास्तविक सुंदरता नहीं मानते, उनका मानना है।

लड़कियाँ आज खूब आगे बढ़ रही है, देश दुनिया में नाम रौशन कर रही है। वर्तमान में भारत की राष्ट्रपति महोदया उन्हें सबसे सुंदर महिला लगती है। क्योंकि सुंदरता का आधार कर्म होना चाहिए। आज लड़कियों को मौका देने की जरूरत है वह खूब आगे बढ़ रही है। और हमें उनके पक्ष में भाई, पिता, पुत्र, साथी, सहकर्मी इत्यादि के रूप में खड़े होने की जरूरत है। प्रसिद्ध कविता ‘नई लड़कियाँ’ सागर इंडिया द्वारा लिखित कविता है जो लड़कियों की सशक्तिकरण और उनके अधिकारों पर केंद्रित है। इस कविता में लड़कियों की शक्ति और सामर्थ्य को दर्शाया है और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने को प्रेरित किया है।

नई लड़कियां कविता में सागर इंडिया ने, लड़कियों को संबोधित करते हुए कहा है कि, वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ें और अपने अधिकारों के लिए लड़ें। इस कविता में लड़कियों को सशक्त बनाने और उन्हें समाज में सम्मान दिलाने के लिए संदेश दिया है।
“नई लड़कियाँ” कितना खुल कर हँस्ती है, नई लड़कियाँ इसी रास्ते पढ़ने जाती है, कई लड़कियाँ बहुत रोका जाता है जिनको, कुछ बड़ा नाम करती है, ऐसा हीं लड़कियाँ घुटने लगता है दम, जब बंद दरवाजों से, तब उम्मीद की खिड़कियाँ खोलती है यही लड़कियाँ अब तो बराबरी का, हक मांगती है, लड़कों की तरह घर में घर की पढ़ी लिखी लड़कियाँ संभालती है घर को अपने कंधो पर बेटों की तरह, घर में घर की, सबसे बड़ी लड़कियाँ। कितना खुल कर हँस्ती है, नई लड़कियाँ।

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सागर क्षेत्रीय मंचों से निकलकर अब अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों के मंच पर काव्य पाठ कर रहे हैं। वह एशिया की टॉप यूनिवर्सिटी इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से अभिनय में मास्टर कर रहे हैं और कई विषय में वह मास्टर कर चुके हैं सिनेमा के साथ-साथ कविता और रंगमंच में सक्रिय है। वह पिछले 12 सालों से लड़कियों पर उनकी जीवनशैली पर पर शोध कर रहे हैं। उनका लघु शोध “कविता का रंगमंच” में भी लड़कियों के विषय को समाहित किया गया है। वह लगातार काव्य मंचों से लड़कियों पर कविताएं लिखकर उनके हक में खड़े होने का संदेश देते हैं। उनकी कुछ प्रमुख कविताएं – रोटी बनाती लड़की, नहीं मांग पाई लड़कियां, कम उम्र की लड़की, एक खूबसूरत जवान लड़की, औरत, भाग गई बिटिया, सबसे पहला प्यार है माँ, माँ ने हीं, मेरी अम्मा, लड़कियों पर मैं इत्यादि प्रमुख कविता है।

समाज में महिला और पुरुष का सामाजिकता बराबरी का है, पर फिर भी कई ऐसे घर हैं जहां आज भी महिलाओं के प्रति उनके उत्साह को लेकर निराशा है इसी निराशा में आशा की किरण है सागर इंडिया की लड़कियों पर लिखी कविताएं। वह सिर्फ कविताएं लिखते नहीं बल्कि मंचों के अलावा वह उन लड़कियों के पास जाकर कविता भी सुनते हैं, जिनके लिए उन्होंने कविताएं लिखी है। कविताओं के माध्यम से उनकी यही कोशिश है कि समाज की जो विकृत मानसिकता है, लड़कियों के प्रति उसका सौंदर्यीकरण हो सके, और इसके लिए उन्होंने साहित्य की विधा कविता को चुना।

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