अररिया(रंजीत ठाकुर): भीषण गर्मी व उमस भरे मौसम में डायरिया का खतरा काफी बढ़ जाता है। डायरिया की वजह से बच्चों व बुजुर्गों में अत्यधिक निर्जलीकरण की वजह से स्थिति बिगड़ने का खतरा रहता है। ये जानलेवा भी हो सकता है। इसीलिये डायरिया से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा संचालित किया जा रहा है। इसमें आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से जहां पांच साल से कम उम्र के बच्चों के बीच ओआरएस व जिंक की दवा वितरित की जा रही है। वहीं हाथों की सफाई, डायरिया से बचाव संबंधी अन्य कारणों के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
दूषित जल का सेवन डायरिया का प्रमुख कारण :
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि दूषित जल का सेवन डायरिया के प्रमुख कारणों में से एक है। नियमित दिनचर्या के साथ स्वच्छता का ध्यान रखते हुए डायरिया से काफी हद तक बचा जा सकता है। बरसात के मौसम में जलजमाव होने की वजह से डायरिया के जीवाणु तेजी से विकसित होते हैं। इसलिये घर के आसपास जलजमाव से बचाव और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना जरूरी है।
मुख्यत : तीन तरह के होते हैं डायरिया :
सिविल सर्जन ने कहा कि डायरिया के कई प्रकार हैं। एक्यूट वाटरी डायरिया, इसमें दस्त काफी पतला होता है। ये कुछ घंटों या कुछ दिन तक ही होता है। इससे निर्जलीकरण एवं अचानक वजन में गिरावट होने का ख़तरा होता है। दूसरा एक्यूट ब्लडी डायरिया, इसे आमतौर पर शूल के नाम से जाना जाता है। इससे आंत में संक्रमण व कुपोषण का खतरा होता है। तीसरा परसिस्टेंट डायरिया, जो 14 दिन या इससे अधिक समय तक रहता है। इसके कारण बच्चों में कुपोषण व संक्रमण का खतरा होता है। चौथे तरह के डायरिया का खतरा अतिकुपोषित बच्चों को ज्यादा रहता है। ये अत्यंत गंभीर किस्म का होता है। इससे संक्रमण, निर्जलीकरण, ह्रदय संबंधित समस्या, विटामिन व जरूरी खनिज लवण की शरीर में कमी की समस्या आती है।
अब तक 1532 गांवों में हुआ ओआरएस का वितरण
जिले में संचालित सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा से संबंधित जानकारी देते अभियान के नोडल अधिकारी सह डीआईओ डॉ मोईज ने बताया कि 15 से 30 जुलाई तक संचालित अभियान के क्रम में अब तक जिले के 1 हजार 532 गांवों में चिह्नित परिवारों के बीच ओआरएस का वितरण किया जा चुका है। इससे अब तक 01 लाख से अधिक बच्चे लाभान्वित हुए हैं। अभियान के क्रम में अब तक डायरिया से ग्रसित 85 बच्चों को चिह्नित किया गया है। उन्हें 14 दिन का जिंक व आवश्यकता के हिसाब से ओआरएस उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक जिले के 38 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में विशेष सत्र आयोजित करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों की मदद से हाथ धोने के सही तकनीक की जानकारी दी गयी है।
डायरिया के शुरूआती लक्षणों का रखें ध्यान :
- लगातार पतले दस्त का होना
- बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना
- प्यास का बढ़ जाना
- भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना
- दस्त के साथ हल्के बुखार का आना
- दस्त में खून आना जैसे लक्षणों के आधार पर डायरिया की पहचान होती है