मिशन 2025 तक टीबी मुक्त भारत हो अपना का सपना करना होगा साकार

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>पूर्णिया&lpar;रंजीत ठाकुर&rpar;&colon; <&sol;strong>टीबी मुक्त भारत का सपना तभी साकार होगा जब सभी लोग एकजुट होकर टीबी को जड़ से मिटाने के लिए एक दूसरे का सहयोग करेंगे। आगामी वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का सपना देखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देश में स्वास्थ्य विभाग पूरी ईमानदारी के साथ जुटा हुआ है। इसके लिए नियमित रूप से तरह-तरह के कार्यक्रमों का संचालन किया जाता रहता हैं। इसी कड़ी में भारत सरकार द्वारा टीबी से संबंधित जानकारियों के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-116666 जारी किया गया है। जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति मात्र एक मिस कॉल से टीबी बीमारी से संबंधित सभी तरह की जानकारी प्राप्त कर सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय&comma; देश में सबसे गंभीर बीमारी समझी जाने वाली टीबी &lpar;क्षय रोग&rpar; के इलाज में अब मोबाइल फोन की सहायता ले रहा है। क्योंकि वर्तमान समय में अधिकांश लोगों के पास मोबाइल फोन की उपलब्धता हो गई है। यही कारण है कि विभागीय स्तर पर एक टॉल -फ्री नंबर जारी किया गया है। जिस पर एक मिस्ड कॉल से उपचार एवं सलाह से संबंधित सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हो सकती हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>टीबी के मरीजों की खोज के लिए चलाया जाता है अभियान&colon; सीडीओ<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ महम्मद साबिर ने बताया केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा देश में जितने भी टीबी के मरीज हैं&comma; उन सभी के लिए टॉल फ्री नंबर जारी किया गया है। जिसके माध्यम से मिस्ड कॉल करते ही मरीज़ों को उपचार की सुविधाएं उपलब्ध हो जाएगी। क्योंकि ज्यादातर टीबी के मरीज साधारण या गरीब परिवार से आते हैं। इसके साथ ही जानकारी के अभाव में साधारण टीबी के मामले निकट भविष्य में जटिल रूप ले लेते हैं। वहीं मिस्ड कॉल सेवाओं की मदद से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों की पहचान करने एवं चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराने में काफ़ी मदद मिलेगी। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत विभिन्न चरणों में व्यापक स्तर पर टीबी के मरीजों की खोज की जाती है जिसके लिए लगातार अभियान चलाया जाता है। इस अभियान के दौरान अनाथालय&comma; नारी निकेतन&comma; बाल संरक्षण गृह&comma; वृद्धा आश्रम&comma; कारागृह&comma; सुधार गृह&comma; रैन बसेरा&comma; पोषण पुनर्वास केंद्र&comma; ईंट भट्टा के मजदूर&comma; नव निर्मित कार्यस्थल के मजदूर&comma; सुदूर ग्रामीण व कठिन&comma; महादलित टोला एवं लक्षित समूह जैसे उच्च जोखिम युक्त समूह पर विशेष नजर रखी जा रही है। वहीं&comma; टीबी के मरीज़ों का उपचार एवं जांच पूरी तरह से निःशुल्क देने के साथ ही विभागीय स्तर पर समय-समय पर निगरानी भी की जाती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>टीबी के मरीज़ों को पौष्टिक आहार के लिए दी जाती है सरकारी सहायता&colon; राजेश शर्मा<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>ज़िला यक्ष्मा एवं एचआईवी समन्वयक राजेश कुमार शर्मा ने बताया टीबी मरीज़ों को खोज करने के लिए दूर-दराज तक पहुंच बनाने&comma; रोग के लक्षण सामने आने के दो सप्ताह के अंदर टीबी के सभी मामलों का निदान करना और नजदीकी जनस्वास्थ्य केंद्रों तक भेजने के साथ ही पूर्ण इलाज सुनिश्चित कराना भी शामिल है। टीबी के मरीजों को चिकित्सीय उपचार के दौरान पौष्टिक आहार के लिए प्रति माह 500 रुपये निक्षय पोषण योजना के तहत दिए जाते हैं। टीबी के नए मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। यह 500 रुपये पौष्टिक आहार के लिए दिया जाता है। टीबी के मरीज़ों को लगातार 6 महीने तक दवा खिलाई जाती है। इस अवधि तक प्रतिमाह 500-500 रुपये दिए जाते हैं।<&sol;p>&NewLine;

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