दहेज कुप्रथा को समाप्त करने में समाज का जागरूक होना जरूरी

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong><mark style&equals;"color&colon;&num;cf2e2e" class&equals;"has-inline-color has-vivid-red-color">फुलवारीशरीफ&lpar;अजीत यादव&rpar;&colon;<&sol;mark><&sol;strong> सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच की ओर से साप्ताहिक &lpar;रविवारीय&rpar; नुक्कड़ नाटक की श्रृंखला में महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं अमन राज द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक &&num;8220&semi;तलाश एक दुल्हन बिटिया की&&num;8221&semi; प्रस्तुति वाल्मी&comma; फुलवारी शरीफ में की गई&period; नाटक की शुरुआत सौरभ राज के स्वरबद्ध गीत- बेटियां&comma; मां- बहन&comma;बेटियों से दुल्हन-2 बेटियों से उदायी है बेटियां ना कभी पराई है…&period; से हुई&period;<br><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस नाटक के माध्यम से यह दिखाया गया की दहेज प्रथा जैसे सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जनमत बनाए रखने के लिए एक युवक अपने अपने समाज की बेटियों का सुयोग्य वर तलाश करने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप लिंक स्थापित करता है &period; जिससे अधिक से अधिक लोग एक दूसरे से परिचित होते हैं और वे लोग अपने अनुसार वर-वधु का चयन कर बिना दहेज का तलाश एक दुल्हन बिटिया को अपने घर में लाते है&period; इस तरह से सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति पाने के लिए यह एक अच्छी पहल है&period; <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>हम सभी को भी इस तरह का प्रयास करना चाहिए तभी अपने समाज राज्य और देश का भला होगा&period; कलाकारों ने बताया कि बेटी कभी पराई नहीं होती दुल्हन के रूप में वापस आपके घर में बेटी ही आती है &period; घर की दुल्हन को बेटी मानकर ही उस रखें और दूसरों को भी बेटियों को दहेज के लिए प्रताड़ित करने जलाकर मारने आदि बुराइयों से दूर रहने के लिए जागरूक करते रहें &period; नाटक के कलाकार- महेश चौधरी&comma; सौरभ राज&comma; अमन&comma; करण&comma; नमन&comma; गोलू&comma; वीर&comma; शशांक&comma; रंजन&comma; रूपाली कुमारी&comma; मिथिलेश कुमार पांडे और कामेश्वर प्रसाद थे&period;<&sol;p>&NewLine;

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