दानापुर में धूमधाम से मनाया गया गुरु हांड़ी साहेब का स्थापना दिवस

दानापुर(अजित यादव): राजधानी पटना के दानापुर की धरती आज ही के दिन 350 वर्ष पहले सिखों के दसवें और अंतिम गुरु गोविन्द सिंह जी महाराज के पवित्र चरणों के स्पर्श मात्र से ही धन्य हो गयी थी। ऐसी मान्यता है कि दानापुर में गुरु महाराज के आगमन पर माता जमुना माई ने उन्हें हांडी वाली खिचड़ी पड़ोसी थी। तब से लेकर आज तक दानापुर में आज के दिन गुरु महाराज यानी गुरु हरी साहब का स्थापना दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता रहा है। दानापुर आगमन वाले पवन दिवस पर रविवार को गुरु हांड़ी साहेब का स्थापना दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया गया । बताया जाता है कि आज ही दिन बाला प्रीतम जो गुरु गोविन्द सिंह महाराज के नाम से जाने जाते है, 7 साल की उम्र में पटना साहिब से अनंतपुर साहेब जाने के दरमयान दानापुर में रुके थे।

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गुरु हांड़ी साहेब के मुख्य ग्रंथी सतनाम सिंह ने बताया कि लगभग साढ़े तीन सौ साल पहले आज ही दिन गुरु गोविन्द सिंह महाराज अनंतपुर जाने के दरमयान रुके थे और माता जामुनी माई ने उन्हें हांडी में खिचड़ी बनाकर उन्हें खिलाई थी, तब से उस जगह का नाम गुरु हांड़ी साहेब पड़ गया. रविवार को इस मौके पर गुरु हांड़ी साहेब में बड़ी संख्या में देश के कोने कोने से हजारो की संख्या में सैलानी उमड़ आये . गुरु हांड़ी साहेब में इस अवसर पर कीर्तन और अरदास का कार्यक्रम चलता रहा। इसके अलावे स्वादिष्ट व्यंजनों से निर्मित लंगर का भोग सैलानियों को परोसा गया। देश के विभिन्न इलाकों से आए सैलानियों ने कहा कि आज उस धरती पर आकर हम धन्य हो गए जहां कभी हमारे गुरु महाराज के बाल्यावस्था में कदम पड़े थे। गुरु महाराज के कार्यक्रम न्याय सैलानियों और श्रद्धालुओं की सेवा में स्थानीय लोगों सामाजिक संगठनों के साथ ही प्रशासनिक स्तर पर पूरी मुस्तैदी से लोग डटे हुए रहे।

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