पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में विभागीय संगोष्ठी का आयोजन

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>पटना&comma; &lpar;न्यूज़ क्राइम 24&rpar;<&sol;strong> पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर प्राचीन इतिहास&comma; संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में शैक्षणिक गतिविधियों के अंतर्गत &OpenCurlyDoubleQuote;ऐतिहासिक स्रोत के रूप में अभिलेखों का महत्व” विषय पर विभागीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कार्यक्रम का शुभारंभ विभागाध्यक्ष प्रो&period; कनक भूषण मिश्रा के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने अभिलेखों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि &OpenCurlyDoubleQuote;इतिहास लेखन में अभिलेखों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। अभिलेख पत्थर&comma; धातु&comma; मिट्टी या अन्य टिकाऊ वस्तुओं पर उत्कीर्ण वे लेख हैं जो हमें उस काल की राजनीतिक&comma; सामाजिक&comma; आर्थिक&comma; धार्मिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों की सटीक जानकारी प्रदान करते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>उन्होंने बताया कि अभिलेखों से न केवल शासकों की विजयों&comma; प्रशासनिक नीतियों और धार्मिक मान्यताओं की जानकारी मिलती है&comma; बल्कि जनजीवन और समाज की संरचना का भी परिचय प्राप्त होता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>संगोष्ठी का संचालन डॉ&period; तृप्ति राय ने किया। उन्होंने अभिलेखों के अर्थ&comma; प्रकार और ऐतिहासिक पुनर्निर्माण में उनकी भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने उदाहरण स्वरूप बताया कि अशोक के शिलालेख उनके धम्म नीति और शासन की विचारधारा को स्पष्ट करते हैं&comma; जबकि इलाहाबाद स्तंभ लेख से सम्राट समुद्रगुप्त की विजयों का विवरण प्राप्त होता है। इसी प्रकार दक्षिण भारत के चोल और पल्लव अभिलेख उस क्षेत्र की सांस्कृतिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कार्यक्रम के समापन अवसर पर डॉ&period; प्रीति गुप्ता ने कहा कि &OpenCurlyDoubleQuote;ऐतिहासिक स्रोत के रूप में अभिलेख प्राथमिक स्रोतों के अंतर्गत आते हैं और इनसे प्राप्त सूचनाएं सर्वाधिक प्रामाणिक मानी जाती हैं। बिना अभिलेखों के हमारा इतिहास अधूरा और अनुमान पर आधारित रह जाता है। अंत में डॉ&period; प्रीति गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों एवं विभागाध्यक्ष को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में स्नातकोत्तर सेमेस्टर तृतीय के सुरजीत&comma; रौशन&comma; प्रिया&comma; शिवानी तथा सेमेस्टर प्रथम के कन्हैया कुमार&comma; ज्योति कुमारी&comma; आयुषी&comma; ममता कुमारी&comma; धीरज&comma; आकाश कुमार&comma; सुनीता कुमारी&comma; सोनम कुमारी&comma; विनय कुमार आदि छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रस्तुति दी।<&sol;p>&NewLine;

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