मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरे

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong><mark style&equals;"color&colon;&num;cf2e2e" class&equals;"has-inline-color has-vivid-red-color">झारखंड&lpar;न्यूज़ क्राइम 24&rpar;&colon; <&sol;mark><&sol;strong>सियासी तूफान की आहट है&period; सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग का फैसला जल्द आने वाला है&period; संभावित फैसले के बाद किस रणनीति पर काम करना है&comma; इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्षी खेमे में मंथन का दौर चल रहा है<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>भारत निर्वाचन आयोग की चिट्ठी के बाद से झारखंड में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गयी है&comma; जिस वजह से साफतौर पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। उनकी एक गलती इतनी भारी पड़ती हुई दिख रही है कि उन्हें मुख्यमंत्री का पद ही गंवाना पड़ सकता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>दरअसल&comma; चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज प्रकरण में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह से जवाब मांगा है। सरकार का जवाब मिलने के बाद चुनाव आयोग यह फैसला लेगा कि खनन लीज का मामला &OpenCurlyQuote;ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ के दायरे में आता है या नहीं। भारत निर्वाचन आयोग ने यह कार्रवाई राज्यपाल की ओर से अनुशंसित पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास के शिकायती पत्र के आधार पर शुरू की है।<br><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>बीजेपी नेता रघुवर दास की ओर राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया है कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में 0&period;88 एकड़ क्षेत्रफल में पत्थर खदान लीज पर ली है। राज्यपाल ने इस शिकायती पत्र को चुनाव आयोग के पास भेज दिया&comma; क्योंकि किसी भी सदस्य पर उठाये गये सवाल पर फैसला करने का अधिकार कानूनी रूप से चुनाव आयोग के पास है। चुनाव आयोग का पत्र मिलने के बाद इस संबंध में कोई भी वरीय अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>लेकिन मिली जानकारी के अनुसार आयोग ने यह जानना चाहा है कि हेमंत सोरेन ने खदान के लिए कब आवेदन किया&comma; सरकार के स्तर पर उसे कब और कितने दिनों में स्वीकृत किया गया &quest; दूसरी तरफ&comma; इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गयी है&comma; जिस पर बहुत जल्द सुनवाई होने वाली है। संवैधानिक जानकारों के मुताबिक अगर आयोग को दोहरे लाभ के पद का मामला दिखता है&comma; तो वह हेमंत सोरेन को पक्ष रखने के लिए नोटिस देगा। मामला बनता दिखेगा&comma; तो वह सदस्यता खत्म करने की अनुशंसा राज्यपाल को करेगा।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>कौन होगा मुख्यमंत्री<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>अगर चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन व बसंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद कर दी तो झारखंड का नया सीएम कौन बनेगा&quest; इसको लेकर झारखंड की सियासत गर्म है। लोग इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं। झामुमो में कई नए चेहरों पर चर्चा चल रही है। राजनीतिक गलियारे में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का नाम भी चल रहा है&comma; लेकिन इससे सोरेन परिवार में विवाद पैदा हो सकता है। हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन जामा से पार्टी की विधायक हैं। फिलहाल&comma; उन्होंने अपने तेवर नरम कर रखे हैं&comma; लेकिन हेमंत द्वारा अपनी पत्नी को आगे किए जाने की स्थिति में वह आपत्ति जता सकती हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>सोरेन परिवार से इतर देखा जाए तो वरिष्ठ मंत्री चंपई सोरेन और जोबा मांझी भी विकल्प हो सकते हैं। अयोग्य घोषित किए जाने पर बरहेट विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की नौबत आएगी। उधर&comma; प्रतिकूल फैसला आने पर हेमंत सोरेन के भाई दुमका के विधायक बसंत सोरेन की भी मुश्किलें बढ़ेगी। हेमंत सोरेन द्वारा सीट छोड़ने के बाद दुमका विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में उन्होंने नजदीकी अंतर से जीत हासिल की थी। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>ऐसे में&comma; यहां भी उपचुनाव की नौबत आएगी। हालांकि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही सरकार को विधानसभा में पर्याप्त बहुमत है&comma; लेकिन उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त होने की स्थिति में विकल्प खुले हैं। ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन स्वाभाविक पसंद हो सकते हैं। उनके नाम पर झामुमो के साथ-साथ कांग्रेस को भी कोई आपत्ति नहीं होगी। फिलहाल वे राज्यसभा के सदस्य हैं। छह माह के भीतर उन्हें विधानसभा की सदस्यता हासिल करनी होगी।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>कांग्रेस बढ़ा सकती है दबाव<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रतिकूल फैसला आने के बाद कांग्रेस भी दबाव बढ़ा सकती है। कांग्रेस के 18 विधायक हैं&comma; जो भीतर ही भीतर घुटन महसूस कर रहे हैं&comma; वे खुलकर सामने आ सकते हैं। हाल ही में तीन विधायकों के नकदी के साथ कोलकाता में पकड़े जाने के बाद भीतर ही भीतर विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। उनकी नाराजगी कई बातों को लेकर है। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>विधायक सत्ता में सीधी भागीदारी की फिराक में हैं। एक खेमा ऐसा भी है&comma; जो कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर सकता है। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने ढ़ाई वर्ष से अधिक समय तक कांग्रेस के सहयोग से सरकार चलाई। अब वे कमान कांग्रेस को सौंपकर सत्ता संचालन में सहयोग करें। हालांकि ये तमाम बातें राजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>यह है पूरा मामला<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>बीजेपी नेताओं के आरोप के मुताबिक हेमंत सोरेन ने रांची जिले के अनगड़ा मौजा&comma; थाना नं-26&comma; खाता नं- 187&comma; प्लॉट नं-482 में अपने नाम से पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति ली है। बीजेपी नेताओं के अनुसार वे इस खनन पट्टा की स्वीकृति के लिए वर्ष 2008 से ही प्रयासरत थे और मुख्यमंत्री बनने के बाद 16 जून 2021 को पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति के लिए सैद्धांतिक सहमति के आशय का पत्र एलओआई विभाग ने जारी कर दिया। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इसके बाद जिला खनन कार्यालय द्वारा 10 जुलाई 2021 को खनन योजना की स्वीकृति दी गयी। उसके बाद हेमंत सोरेन ने 9 सितंबर 2021 को स्टेट लेबल इंवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी&comma; सीईआईएए द्वारा 14 से 18 सितंबर 2021 को संपन्न 90वीं बैठक में पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा की गयी। हालांकि यह बात भी सामने आ रही है कि हेमंत सोरेन ने फरवरी 2022 में यह लीज सरेंडर कर दिया है।<&sol;p>&NewLine;

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