अररिया(रंजीत ठाकुर): उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में जलवायु सहित अन्य कारणों से कुछ खास किस्म के रोग लोगों का अपना आसान शिकार बनाते हैं। लगभग 20 तरह के इन रोगों के समूह को नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज यानि एनटीडी के नाम से जाना जाता है। विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ व परजीवियों के कारण होने वाले ये रोग गरीब व अशिक्षित समुदाय के लोगों को अपना निशाना बनाता है। वैसे इलाके जहां स्वच्छ पेयजल, मानव अपशिष्ट के निष्पादन तक लोगों की पहुंच सीमित है। उन इलाकों में इन रोगों का प्रसार अधिक देखा जाता है। कालाजार, हाथीपांव, कुष्ठ रोग, डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रैबिज, स्कैबिज, ट्रैकोमा सहित अन्य रोग एनटीडी रोगों की सूची में शामिल हैं। जिनकी रोकथाम संभव है। बावजूद इसके इन रोगों की वजह से हर साल देश में हजारों लोगों की मौत जाती या फिर उन्हें विकलांगता का शिकार होना पड़ता है। इन रोगों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 30 जनवरी को विश्व एनटीडी दिवस का आयोजन किया जाता है।
जिले में एनटीडी उन्मूलन की दिशा में हुआ है सार्थक प्रयास :
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2030 तक देश से एनटीडी रोग को पूर्णत: खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसे लेकर केंद्र व राज्य सरकार के स्तर से कई जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। पिछले कुछ सालों से जिले में एनटीडी उन्मूलन की दिशा में सार्थक प्रयास हुए हैं। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक लोगों को इन रोगों के प्रति जागरूक किया जाये। ताकि रोग के प्रसार को सीमित किया जा सके।
सीमित हो चुके हैं कालाजार के मामले, फाइलेरिया नियंत्रण का हो रहा प्रयास :
डीवीबीडीसीओ डॉ अजय कुमार ने कहा कि फाइलेरिया व कालाजार उन्मूलन की दिशा में हम लगातार प्रगति कर रहे हैं। जिले के सभी 09 प्रखंड कालाजार प्रभावित इलाकों की सूची से बाहर आ चुके हैं। वर्ष 2007 में जहां जिले में कालाजार के 04 हजार से अधिक मामले थे। वहीं आज कालाजार से संबंधित मामले घट कर महज 24 रह गये हैं। जिले में फिलहाल फाइलेरिया के कुल 548 मरीज हैं। इसमें 243 मरीज हाइड्रोसिल के हैं। बीते एक सालों में हाइड्रोसिल के 77 मरीजों का नि:शुल्क ऑपरेशन हुआ है। फाइलेरिया रोग पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर संचालित एमडीए कार्यक्रम भी इस साल जिले में बेहद सफल रहा। निर्धारित लक्ष्य की तुलना में जिले की 70 फीसदी आबादी को एमडीए की दवा खिलाई गयी। अगर अभियान इस कदर सफल होता है तो यह तय है कि फाइलेरिया से हम पूरी तरह मुक्त होंगे। इस साल जिले में डेंगू के लगभग 15 मामले मिले। सभी रोगी बाहरी राज्यों से लौटे थे। तत्काल प्रभावित गांव में छिड़काव व रोगी के उपचार करते हुए रोग के प्रसार को नियंत्रित कर लिया गया।
जिले में फिलहाल कुष्ठ रोग के 274 मरीज :
जिला कुष्ठ निवारण केंद्र के डीएनटी जीतेंद्र रमण ने बताया कि जिले में कुष्ठ निवारण को लेकर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। बीते कुछ सालों से कुष्ठ के नये मामलों में काफी गिरावट आयी है। जिला का प्रीविलेंस रेट फिलहाल 0.7 है। प्रिविलेंस रेट 1 से होने पर हाई इंडैमिक इलाके को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल जिले में 274 कुष्ठ रोगी हैं। इसमें 127 में संक्रमण के साधारण व 149 गंभीर रोगी हैं। नियमित रूप से उनका उपचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर साल महात्मा गांधी की शहादत दिवस 30 जनवरी को कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है। मौके पर जागरूकता संबंधी कई कार्यक्रम आयोजित किये जाने की जानकारी उन्होंने दी।