विश्व मधुमेह दिवस : जिले के सभी अस्पताल में 14 से 21 नवंबर तक डाइबिटीज जांच व परामर्श कैम्प का हो रहा आयोजन

पूर्णिया, न्यूज क्राइम 24। बदलते समय के साथ लोगों के खानपान और जीवनशैली में भी बहुत से परिवर्तन हो गए हैं। लोगों के बदलते आहार व्यवहार के कारण वे बहुत से बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इन बीमारियों में मधुमेह की बीमारी समान्य हो गई है। जिन्हें लोग डाइबिटीज या शुगर की बीमारी के रूप में भी सम्बोधित करते हैं। असंतुलित आहार का सेवन, नियमित शारीरिक गतिविधियों की कमी से ज्यादातर लोग डाइबिटीज के शिकार हो रहे हैं।

चिकित्सकीय भाषा में इस बीमारी को साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है। लोगों को डायबिटीज के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में 14 से 21 नवंबर तक विशेष कैम्प का आयोजन कर लोगों की निःशुल्क डाइबिटीज जांच व परामर्श कैम्प का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान अस्पताल में लोगों की विशेष जांच करा उन्हें डाइबिटीज की पहचान और उससे सुरक्षित रहने के लिए ध्यान रखने के प्रति जागरूक किया जाएगा।

मधुमेह जागरूकता के लिए आईएमए, एपीआई व एनसीडी द्वारा जिले में हुई वॉकथन रैली :

मधुमेह के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व मधुमेह दिवस पर आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन), एपीआई (एसोसिएशन ऑफ फिजिसियन ऑफ इंडिया) एवं जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण विभाग (एनसीडी) द्वारा पूर्णिया में वॉकथन रैली का आयोजन किया गया। सुबह 07:30 बजे आईएमए हॉल से शुरू  वॉकथन रैली 3 किमी तक संचालित की गई। जिसे सभी चिकित्सकों द्वारा पंचमुखी मंदिर होते हुए भट्ठा बाजार और वहां से लाइन बाजार होते हुए वापस आर एन साह चौक तक पहुँचकर खत्म किया गया।

वॉकथन रैली द्वारा सभी चिकित्सकों के माध्यम से सामान्य लोगों को मधुमेह से सुरक्षित रहने के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के लिए जागरूक किया गया। वॉकथन रैली में आईएमए प्रेसिडेंट डॉ ए के सिन्हा, एपीआई से डॉ आर के मोदी, डॉ देवी राम, आरोग्य संस्थान से डॉ संजीव कुमार, स्वास्थ्य विभाग से जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. वी. पी. अग्रवाल, डब्लूएचओ एसटीएफ डॉ शेखर कपूर सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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बदलते खानपान व जीवनशैली से लोग हो रहे डाइबिटीज के शिकार :

जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. वी. पी. अग्रवाल ने बताया कि आजकल बदलते खानपान और जीवनशैली के कारण ज्यादातर लोग डाइबिटीज के शिकार हो रहे हैं। अनियमित दिनचर्या, असंतुलित भोजन व्ययाम नहीं करना, मानसिक तनाव आदि डाइबिटीज होने के प्रमुख कारण हैं। डाइबिटीज मेटाबोलिक बीमारियों का समूह है जो खून में ब्लड शुगर या ग्लूकोज के सामान्य से अधिक होने से कारण होता है। ऐसे में शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती है। शरीर में इंसुलिन का बैलेंस बिगड़ने के कारण लोग डाइबिटीज के शिकार हो जाते हैं। इससे सुरक्षित रहने के लिए लोगों को जागरूक होने और सावधानी बरतने की आवश्यकता है। सावधानी बरतने से लोग डाइबिटीज से सुरक्षित रह सकते हैं या डाइबिटीज होने पर भी उसे नियंत्रित रख सकते हैं।

संतुलित आहार का सेवन और नियमित व्यायाम से रख सकते हैं डाइबिटीज पर काबू :

डॉ अग्रवाल ने बताया कि डाइबिटीज से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को दैनिक जीवनचर्या में संतुलित आहार और नियमित व्यायाम करने की आवश्यकता है।इसके लिए लोगों को प्रतिदिन एक हजार कदम टहलना, फल, गुनगुना पानी, दही या छाछ, जौ, दलिया, मल्टीग्रेन आदि का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। पर्याप्त नींद लेना और वजन पर नियंत्रण रखने से लोग डाइबिटीज होने से बच सकते हैं। डाइबिटीज के मरीजों को हरी सब्जियां, सलाद और अंकुरित अनाज का सेवन करने से विशेष लाभ मिलता है। रात में जल्दी खाना खाने, खाने के बाद टोन्ड दूध पीने, कम चीनी या बिना चीनी के चाय पीना भी मरीजों के लिए फायदेमंद है।

सुबह खाली पेट मेथी के दाने का पानी भी लाभकारी होता है। आंवले और करेला का जूस भी पी सकते हैं। ऐसा करने से लोग डाइबिटीज को नियंत्रित रख सकते हैं। डॉ अग्रवाल ने बताया कि  डाइबिटीज की समय पर पहचान होने से लोगों को इसका विशेष लाभ मिल सकता है। इसलिए 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को साल में एक बार अपने नजदीकी अस्पताल में जांच जरूर करवानी चाहिए। इसके लिए सभी अस्पतालों में जांच सुविधा उपलब्ध है।

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