जमुई(मो० अंजुम आलम): जमुई के एक परिवार के साथ हुई घटना ने सभी को चौंका दिया है। बिल्कुल फिल्मी कहानी के तर्ज पर घटित घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। शायद जिसकी कल्पना परिवार ने भी कभी नहीं की हो।
पूरा परिवार मृत समझ कर जिसे त्याग चुका था उसकी यादें भुला चुकी थी लेकिन वो अचानक 23 वर्षों के बाद गुरुवार की शाम जीवित हो गए। जिसे देखने के लिए मोहल्ले वासियों की भीड़ उमड़ पड़ी। उसे देखने के लिए लोगों का आना- जाना उनके घर पर लगा हुआ है। मामला नगर परिषद क्षेत्र के भछियार मोहल्ले का है।
बताया जाता है कि भछियार मोहल्ला निवासी स्व.शुक्कर ठठेरा के पुत्र रघुनंदन उर्फ डोमा ठठेरा कर्ज के बोझ तले दबकर और जुआ में हार की वजह से तनाव में आकर वर्ष 2000 में ही घर-परिवार को छोड़कर भाग गया था। उस वक़्त उनकी उम्र लगभग37 वर्ष के आसपास थे।
उसके बाद भटकते हुए नेपाल के लहान पहुंचा फिर कुछ वर्ष बिताने के बाद विराट में रहकर फेरी कर गुजर-बशर करने लगा, लेकिन इस दौरान उनको अपने घर-परिवार की याद नहीं आई थी। इधर परिवार वाले रिश्तेदार से लेकर चारों ओर खोजबीन किए थे, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल सका था अंत में सभी परिवार वाले उन्हें मृत समझ कर रहने लगे।
लगभग 23 वर्षों के बाद 70 वर्ष की उम्र में गुरुवार की शाम अचानक रघुनंदन उर्फ डोमा ठठेरा को भछियार में ही घर ढूंढते हुए मोहल्ले के ही एक व्यक्ति देखकर पहचान लिया। दरअसल रघुनंदन अपना घर भूल गए थे। इसकी जानकारी परिवार वालों को दी गई और उन्हें घर पहुंचाया गया।
पत्नी तो उन्हें पहचान गई लेकिन अन्य परिवार वाले कुछ छण तक पहचान नहीं पाए थे फिर सभी परिवार वालों के लिए एक साथ दशहरा और दीपावली आ गई। खुशियों से लोग झूम उठे।
रघुनंदन उर्फ डोमा ठठेरा से जब जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया की कुछ दिनों से वे अपने पुत्र प्रमोद का सपना देखे थे। सपना में पता चला था कि उनके पुत्र प्रमोद का पैर टूट गया है।
उसके बाद पुत्र की याद सताने लगी और पुत्र से मिलने के लिए बेचैन होकर उन्हें घर लौटना पड़ा। आश्चर्य की बात तो यह है कि जब वे घर आए तो सच में उनके पुत्र का पैर टूटा हुआ पाया। हालांकि परिवार के साथ व साथियों से मिलकर उन्हें काफी अच्छा लग रहा है। वे अब नेपाल जाना नहीं चाहते हैं।