पटना/फुलवारी, (न्यूज़ क्राइम 24) बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती बरतते हुए पटना निगरानी न्यायालय ने नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड हल्का संख्या-4 के लिपिक मुसाफिर सिंह को रिश्वत लेने के मामले में दोषी करार देते हुए 1 वर्ष की सजा और ₹5000 के जुर्माने की सजा सुनाई है.बिहार सरकार के विशेष लोक अभियोजक (निगरानी ट्रैप केस) विजय भानु उर्फ पुट्टू बाबू ने अभियुक्त के खिलाफ मजबूत तर्क, साक्ष्य और गवाहों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया. इस मामले में कुल 9 गवाहों की गवाही कराई गई, जिसके बाद अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया.
हरनौत प्रखंड के नेहुसा निवासी चंद्रशेखर सिंह ने वर्ष 2007 में निगरानी थाना में शिकायत दर्ज कराई थी कि लिपिक मुसाफिर सिंह ने बंटवारे के दाखिल-खारिज के लिए ₹1300 की रिश्वत की मांग की थी.इस आधार पर निगरानी विभाग ने 8 मार्च 2007 को ट्रैप लगाकर मुसाफिर सिंह को रंगे हाथों उनके निजी कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया था.मामले की सुनवाई निगरानी विशेष न्यायाधीश मो. रुस्तम की अदालत में हुई. अदालत ने धारा 7 पी.सी. अधिनियम के तहत 6 माह की कैद और ₹5000 जुर्माना, वहीं धारा 13(2) पी.सी. अधिनियम के तहत 1 वर्ष की कैद और ₹5000 जुर्माना लगाया.
बिहार सरकार के विशेष लोक अभियोजक (निगरानी ट्रैप केस) विजय भानु उर्फ पुट्टू बाबू ने बताया की मामले में वर्ष 2015 में ही आरोप गठित कर दिया गया था, लेकिन कानूनी प्रक्रिया में 17 साल का लंबा वक्त लग गया. अंततः निगरानी अदालत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सजा का ऐलान किया.
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