ऋतुराज वसंत का आगमन और मां शारदे की प्रतिमा बनाने में जुटे कारीगर

फुलवारशरीफ(अजीत यादव): ऋतुराज बसंत के आगमन में विद्या की देवी सरस्वती की पूजा को लेकर पूजा समिति तन्मयता से लग गई है। इस वर्ष वसंत पंचमी सरस्वती पूजा 5 फरवरी को है। संपतचक के बैरिया फुलवारी के संगत पर दर्जनों परिवार मां शारदे की प्रतिमा बनाने में जुटे हुए हैं । मां शारदे की प्रतिमा बना रहे लोगों ने बताया कि 500 से 2000 तक की प्रतिमा की डिमांड है मिट्टी लाने के लिए उन लोगों को काफी दूर जाना पड़ता है। पहले आसपास के इलाकों से ही मिट्टी का इंतजाम हो जाता था वहीं अब आबादी बढ़ने से मिट्टी लाने के लिए काफी दूरी गौरीचक और बेलदारीचक से महंगी दर पर मिट्टी खरीद के लाना पड़ रहा है । हालांकि कुछ जगहों पर पूजा समिति के लोग पूजा स्थलों पर ही मूर्तिकार को बुला कर बड़ी मूर्ति बना रहे हैं। वीणावादिनी की प्रतिमा विभिन्न डिजाइनों में बनायी जा रही है। सबसे अधिक कमल व हंस पर मां शारदे की प्रतिमा बनाई जा रही है।

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इसके अतिरिक्त सिंहासन, डोली, शंख आदि पर भी मूर्तिकार मां शारदे की मूर्ति बना रहे हैं। इन दोनो स्थानों पर छोटी-बड़ी तकरीबन 4 से 5 हजार मूतियां बनायी जाती है। फुलवारी शरीफ और संपतचक ब्लॉक के विभिन्न इलाकों में बनाए जाने वाली मां सरस्वती की प्रतिमा आस-पड़ोस के क्षेत्र में उत्कृष्ट कलाकृति के लिए प्रसिद्घ है। मां शारदे की प्रतिमा बना रहे कारीगरों ने बताया कि जितनी तन्मयता और मेहनत से वह मिट्टी के प्रतिमाओं में जान फूंकने का काम करते हैं उतना कीमत उन्हें उनके हुनर का नहीं मिल पाता है इसके अलावा सरकार भी उन जैसे कलाकारों के लिए कोई योजना या मदद अब तक नहीं कर रही है । प्रतिमा बनाने के सीजन के अलावा उन लोगों को और कोई रोजगार नहीं है । रोजी रोटी के लिए उन्हें ऑफ सीजन में दूसरी जगह मजदूरी करनी पड़ती है। दशहरे में मां दुर्गा दीपावली में लक्ष्मी व काली बसंत पंचमी में मां शारदे और विश्वकर्मा पूजा के समय भगवान विश्वकर्मा के प्रतिमाओं के अलावा पूरे साल भर उन लोगों को दूसरे कार्यों में मजदूरी कर परिवार का पेट चलाने की मजबूरी है।

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