पूर्णिया, (न्यूज क्राइम 24) अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए जिले के सभी प्रखंडों में जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की जांच कर उनके अनीमिया ग्रसित होने की जानकारी ली जा रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम अंतर्गत T3 शिविर के तहत जांच, उपचार और कॉउंसलिंग के द्वारा तीन तरह से बच्चों को अनीमिया मुक्त किया जा रहा है। शनिवार को जिले के बायसी प्रखंड के 03 स्कूलों में अनीमिया T3 जांच शिविर का आयोजन किया गया।
इसमें कस्तूरबा गांधी विद्यालय, बायसी, मध्य विद्यालय माला और कन्या मध्य विद्यालय, मलहरिया में स्थानीय सीएचओ, एएनएम, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन और स्टाफ नर्स द्वारा उपस्थित बच्चों के हीमोग्लोबिन की जांच की गई। जांच के साथ ही बच्चों को अनीमिया से सुरक्षित रहने के लिए नियमित दवा और पौष्टिक आहार के सेवन करने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस कर्मियों द्वारा सामुहिक सहयोग से दी गई। इस दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अहमर हसन और पिरामल फाउंडेशन जिला लीड शोमैन अधिकारी के साथ स्वास्थ्य कर्मी, आंगनबाड़ी सेविका और विद्यालय शिक्षक उपस्थित रहे।
हीमोग्लोबिन जांच से पता चलता है अनीमिया :
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बायसी डॉ अहमर हसन ने बताया कि अनीमिया T3 जांच शिविर में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा बच्चों की डिजिटल हीमोग्लोबिनमीटर द्वारा जांच की गई। जांच में बच्चों के कुछ बूंद खून लेकर उसमें हीमोग्लोबिन स्तर की जांच की जाती है। इसमें 11 से अधिक हीमोग्लोबिन स्तर वाले बच्चे अनीमिया से सुरक्षित होते हैं। 11 से 09 हीमोग्लोबिन स्तर वाले बच्चों को अनीमिया ग्रसित होने की संभावना रहती है। 09 से 07 हीमोग्लोबिन स्तर वाले बच्चे गंभीर और 07 से कम हीमोग्लोबिन स्तर वाले बच्चों अत्यंत गंभीर अनीमिया से ग्रसित होते हैं। स्कूल में गंभीर और अत्यंत गंभीर अनीमिया ग्रसित बच्चों की पहचान कर उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पुनः जांच करते हुए ट्रीटमेंट उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए संबंधित बच्चों के परिजनों की काउंसलिंग कर उन्हें अनीमिया से सुरक्षा के लिए नियमित दवा सेवन और पौष्टिक आहार का सेवन करने के लिए जागरूक किया जाता है। नियमित दवा सेवन करने और पौष्टिक आहार का सेवन करने से बच्चों अनीमिया से सुरक्षित हो जाते हैं।
खान-पान में पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है अनीमिया :
पिरामल फाउंडेशन के जिला लीड शोमैन अधिकारी ने बताया कि खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी होने से लोगों के शरीर में हीमोग्लोबिन स्तर घट जाता है और संबंधित व्यक्ति में खून में कमी होने लगती है। मुख्य रूप से किशोरी बच्चियों और महिलाओं को खून के कमी की समस्या ज्यादा होती है। ऐसे में उन्हें नियमित रूप से आयरन और फोलिक एसिड की दवा का सेवन करना चाहिए। T3 जांच शिविर में बच्चों की टेस्टिंग के साथ साथ उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन करने की भी आवश्यक जानकारी दी गई। इस दौरान बच्चों को विभिन्न आहार के सेवन से शरीर को मिलने वाले प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा आदि की जानकारी दी गई। सभी को बताया गया कि नियमित पौष्टिक आहार का सेवन करने के साथ साथ दवा सेवन करने से लोगों के शरीर में खून पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेंगे और वे अनीमिया से सुरक्षित रह सकेंगे। T3 जांच शिविर में बच्चों को बेहतर पोषण की भी जानकारी दी गई। इस दौरान कुछ बच्चों द्वारा भी उपस्थित शिक्षकों और अन्य बच्चों को हाथ सफाई और पौष्टिक आहार के सेवन करने से शरीर में होने वाले लाभ की जानकारी दी गई। बच्चों द्वारा पौष्टिक आहार के सेवन से पहले पांच तरह से हाथ सफाई करने की जानकारी दी गई। जिससे कि अन्य बच्चे भी इसका उपयोग कर अनीमिया से सुरक्षित रह सकते हैं।
आई.एफ.ए. गोलियों का नियमित सेवन करने से अनीमिया मुक्त हो सकते हैं लोग :
एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत विभिन्न आयुवर्ग के लोगों को छः समूह में विभक्त कर स्वास्थ्य विभाग द्वारा निःशुल्क आयरन और फोलिक एसिड की दवा उपलब्ध कराई जाती है। इसमें 06 से 59 माह के बच्चों को सप्ताह में दो बार 01 एमएम की आईएफए सिरप आशा कर्मियों द्वारा दी जाती है। 05 से 09 साल के बच्चों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक द्वारा सप्ताह में एक बार आईएफए की एक गुलाबी गोली खिलाई जाती है। स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को आंगनवाड़ी सेविका के माध्यम से गृह भ्रमण के दौरान दवा सेवन कराया जाता है।
वहीं 10 से 19 साल के किशोर-किशोरियों को हर सप्ताह आईएफए की एक नीली गोली, 20 से 24 वर्ष आयु वर्ग के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को हर सप्ताह आईएफए की एक लाल गोली आरोग्य स्थल पर आशा कर्मियों के माध्यम से खिलाया जाता है। वहीं गर्भवती महिलाओं को गर्भ के चौथे महीने के बाद व धात्री महिलाओं को प्रसव के उपरांत प्रतिदिन खाने के लिये आईएफए की 180 गोली स्वास्थ्य विभाग द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है। संबंधित व्यक्ति द्वारा नियमित दवा का उपयोग करने से लोग अनीमिया की कमी को दूर कर सकते हैं।