स्मृति-व्याख्यान, काव्य-गायन के सफल प्रतिभागी छात्रों को किया गया पुरस्कृत

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong><mark style&equals;"color&colon;&num;cf2e2e" class&equals;"has-inline-color has-vivid-red-color">पटना&lpar;अजीत यादव&rpar;&colon;<&sol;mark><&sol;strong> महाकवि काशीनाथ पाण्डेय एक महान भाषा-विद और काव्य-साहित्य में अपने विलक्षण प्रयोगों से चमत्कृत कर देने वाले सच्चे अर्थों में &&num;8216&semi;अक्षर-पुरुष&&num;8217&semi; थे। उन्हें अनेक भाषाओं के शब्दों के ही नही अक्षरों के भी अर्थ ज्ञात थे। अपनी रचनाओं में उन्होंने संस्कृत&comma; हिन्दी&comma; उर्दू&comma; फ़ारसी और अंग्रेज़ी समेत अनेक भाषाओं के शब्दों का विलक्षण प्रयोग किया। &&num;8216&semi;बयाने-क्रौंच ताईर&&num;8217&semi; नाम की&comma; तीस हज़ार छः सौ नब्बे पंक्तियों वाली संसार की सबसे लम्बी कविता लिखकर उन्होंने साहित्य-संसार को चमत्कृत कर दिया है।<br><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>यह बातें बुधवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती-समारोह की अध्यक्षता करते हुए&comma; सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि&comma; हिन्दी के विद्वान समालोचकों को उनके अत्यंत मूल्यवान साहित्यिक अवदानों का गहन अध्ययन एवं मूल्यांकन करना चाहिए।<br><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कलाकक्ष के अध्यक्ष और विद्वान समालोचक डा ब्रजेश पाण्डेय ने कहा कि पाण्डेय जी हिन्दी के कतिपय महानतम कवियों में हैं&comma; जिनके विषय में कुछ लिखने का साहस कोई बड़ा समालोचक नहीं कर सका। वह इसलिए कि उनकी रचनाओं की दुरूहता को समझना सरल नहीं है। काशीनाथ पाण्डेय को सतही तौर पर पढ़कर उन्हें नहीं समझा जा सकता है।<br><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>महाकवि की पुत्रवधू और सुप्रसिद्ध नृत्याचार्या डा पल्लवी विश्वास की नृत्य-आधारित पुस्तक &&num;8216&semi;कथक पल्लविनी&&num;8217&semi; का लोकार्पण भी किया गया। इस अवसर पर महाकवि की स्मृति में पूर्वाहन में संपन्न हुई स्मृति-व्याख्यान प्रतियोगिता&comma; काव्य-पाठ प्रतियोगिता और गीत-गायन प्रतियोगिता के प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पदक और प्रमाण-पत्र देकर पुरस्कृत किया गया।<br><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>सम्मेलन के उपाध्यक्ष शंकर प्रसाद&comma; डा मधु वर्मा&comma; साहित्यमंत्री प्रो मंगला रानी&comma; कुमार नवीन&comma; कुमार अनुपम&comma; प्रो सुशील कुमार झा&comma; रमेश चंद्र&comma; सुप्रसिद्ध गायक रजनीश कुमार&comma; नाल-वादक अर्जुन चौधरी&comma; वरिष्ठ कवयित्री आराधना प्रसाद&comma; प्रेमलता मिश्र &&num;8216&semi;प्रेम&&num;8217&semi;&comma; नम्रता कुमारी&comma; डा शालिनी पाण्डेय&comma; ई अशोक कुमार&comma; अविनय काशीनाथ पाण्डेय&comma; कृष्ण रंजन सिंह&comma; बाँके बिहारी साव आदि ने अपने उद्गार व्यक्त किए।<br>महाकवि की स्मृति में आयोजित प्रतियोगिता में&comma; पटना विश्वविद्यालय&comma; पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय तथा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>सर्वाधिक पदक प्राप्त करने के कारण इस वर्ष का &&num;8216&semi;सकल विजेता हस्तांतरणीय-स्मृतिका&comma; पटना विशविद्यालय को प्राप्त हुई। प्रतियोगिताओं में सफल विद्यार्थियों के नाम इस प्रकार हैं&semi;-<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><br>व्याख्यान प्रतियोगिता &lpar;वरिष्ठ श्रेणी&rpar; &colon; जीतेन्द्र कुमार- प्रथम&comma; साहिल- द्वितीय तथा पूर्वी श्रीवास्तव &&num;8211&semi; तृतीय<br>कनिष्ठ श्रेणी &colon; &&num;8211&semi; न्यासा- प्रथम&comma; वैदेही बदानी -द्वितीय तथा जस्मिन कौर -तृतीय<br>काव्य-पाठ प्रतियोगिता &lpar;वरिष्ठ श्रेणी&rpar; &colon; निधि कुमारी- प्रथम&comma; जेसिंटा- द्वितीय तथा आराधना राज &&num;8211&semi; तृतीय ।<br>कनिष्ठ श्रेणी &colon; कृष्णा राज -प्रथम&comma; वैभव -द्वितीय तथा निलोफ़र -तृतीय।<br>स्वतंत्र-श्रेणी &colon; उज्ज्वल कुमार– प्रथम&comma; वैष्णवी शर्मा- द्वितीय तथा आकृति राज -तृतीय ।<br>गीत-गायन प्रतियोगिता &colon; जेसिंटा &&num;8211&semi; प्रथम&comma; सोनी कुमारी- द्वितीय तथा श्वेता कुमारी- तृतीय।<&sol;p>&NewLine;

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