नियमित टीकाकरण की स्वीकार्यता को बढ़ाने के उद्देश्य से विशेष कार्यशाला आयोजित

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अररिया, रंजीत ठाकुर। नियमित टीकाकरण शिशुओं के जीवन व भविष्य को सुरक्षित रखने का सबसे आसान जरिया है। नियमित टीकाकरण से वंचित नवजात के जीवन पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। टीका की स्वीकार्यता को बढ़ाने व इसकी उपयोगिता के प्रति आम लोगों को जागरूक करने व संबंधित टीकाकर्मियों के क्षमतासंवर्द्धन के उद्देश्य से पीएचसी अररिया सभागार में एक दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। जिला स्वास्थ्य विभाग व सहयोगी संस्था गावी, डब्ल्यूएचओ व यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीएचओ व एएनएम को नियमित टीकाकरण से संबंधित विशेष प्रशिक्षण दिया गया। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मोईज की अध्यक्षता में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पीएचसी प्रभारी पंकज कुमार निराला, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ शुभान अली, एसएमसी यूनिसेफ आदित्य कुमार, सहयोगी संस्था जेएवीआई के डॉ जुनैद, वीसीसीएम शकील आजम, बीएचएम खतीब अहमद, बीएमसी यूनिसेफ जय कुमार झा, डब्ल्यूएचओ से विवेक कुमार, गोपाल कुमार, संतोष कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।

शिशुओं के जीवन को संरक्षित रखने के लिये टीकाकरण जरूरी

प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मोईज ने बताया कि शिशुओं के जीवन को संरक्षित रखने व उन्हें विभिन्न बीमारियों के प्रभाव से मुक्त रखने में आज टीकाकरण की उपयोगिता को लेकर कई स्पष्ट साक्ष्य मौजूद हैं। फिर भी हर साल जिले के हजारों बच्चे नियमित टीकाकरण से वंचित रह जाते हैं। जो उन्हें व समुदाय को विभिन्न संक्रामक बीमारियों की चपेट में डालता है। आज जब बच्चों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिये जीवन रक्षक टीका आसानी से उपलब्ध है। तो ये सभी के लिये स्वीकार्य होना चाहिए।

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बाल मृत्यु पर प्रभावी नियंत्रण का मुख्य जरिया है टीकाकरण

डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ शुभान अली ने कहा कि भारत में लगभग 10लाख बच्चे अपने पांचवा जन्मदिन मनाने से पहले ही मर जाते हैं. इनमें से चार में से एक की मृत्यु निमोनिया व डायरिया के कारण होती है. जो विश्व भर में शिशु मृत्यु के दो प्रमुख संक्रामक बीमारियों में से एक है. नियमित स्तनपान, टीकाकरण व समय पर जरूरी उपचार उपलब्ध कराकर इसमें से अधकांश शिशुओं की जान बचाई जा सकती है। यूनिसेफ के एसएमसी आदित्य कुमार ने कहा कि नियमित टीकाकरण के पहुंच में सुधार, अपने सहयोगी व साझेदार की मदद से सभी भौगोलिक स्थानों, ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में गरीबों, वंचितों, कम पढ़े लिखे समूहों में टीकाकरण की स्वीकार्यता को बढ़ाने की दिशा में यूनिसेफ सतत प्रयासरत है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि टीकाकरण के द्वारा सुरक्षित किये जाने वाले बीमारियों से कोई भी शिशु प्रभावित न हों।

कारगर रणनीति से टीकाकरण संबंधी चुनौतियों पर नियंत्रण संभव

स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था जेएवीआई गावी ग्लोबल अलाइंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाईजेशन के प्रतिनिधि डॉ जुनैद ने बताया कि संपूर्ण टीकाकरण संबंधी लक्ष्य की प्राप्ति में आज भी कई चुनौतियां व्याप्त है। टीकाकर्मियों के क्षमता संवर्द्धन जमीनी स्तर पर टीकों की मांग का सही आकलन करते हुए संसाधनों व कोल्ड चैन प्रबंधन संबंधी इंतजामों को दुरुस्त कर इन चुनौतियों से निजात पाया जा सकता है। वहीं टीकों के माध्यम से रोके जा सकने वाले बीमारियों की ट्रैकिंग को लेकर प्रभावी तंत्र विकसित कर संपूर्ण टीकाकरण की स्वीकार्यता में काफी हद तक सुधार संभव है।

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