राष्ट्रीय पक्षी दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाते शैली सेठी

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>यूपी राष्ट्रीय पक्षी दिवस हर साल 5 जनवरी को मनाया जाता है &vert; प्रकृति प्रेमी&comma; पर्यावरणविद&comma; पक्षी रक्षक लोग राष्ट्रीय पक्षी दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं &vert; राष्ट्रीय पक्षी दिवस में आधे मिलियन अनुयायी पक्षी देखने&comma; पक्षियों का अध्ययन करने और अन्य पक्षी संबंधी गतिविधियों के माध्यम से जश्न मनाते हैं &vert; <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>पक्षी गोद लेना एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पक्षी दिवस गतिविधि है।राष्ट्रीय पक्षी दिवस अभियान का उद्देश्य पालतू जानवरों के रूप में उनकी खरीद को हतोत्साहित करके और जंगली पक्षी आवास संरक्षण कार्यक्रमों और कैप्टिव पक्षी बचाव संगठनों और अभयारण्यों के समर्थन को प्रोत्साहित करके तोते और अन्य पक्षियों के कल्याण में सुधार करना है। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>महिला प्रशिक्षण संस्थान की संस्थापक शैली सेठी ने बताया की हम विकास के रास्ते पर बहुत आगे पहुंच चुके हैं लेकिन इस विकास का प्रकृति पर क्या असर पड़ रहा है&comma; इसके बारे में शायद ही किसी के पास सोचने का वक्त है &vert;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>पर्यावरण एवं वन विभाग की एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि मोबाइल कम्यूनिकेशन टावरों से होने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन &lpar;EMR&rpar; पक्षियों की घटती संख्या के लिए जिम्मेदार है &vert;रेडियो तरंगों&comma;रेडिएशन&comma; मोबाइल फोन के बढ़ते इस्तेमाल मोबाइल टावरों के इंन्स्टॉलेशन आदि के कारण मधुमक्खियों की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो रही है <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>रेडिएशन की वजह से चमगादड़ों की भी मौत हो रही है &comma;गौरेय्या की संख्या में भी तेजी से कमी आई है &comma;दुर्भाग्य से हम इंसानों ने दूसरे तरीकों से भी इन पक्षियों की मुश्किलें बढ़ाई हैं &vert; पेड़ों को काटकर&comma; वाहनों और फैक्ट्रियों के धुएं&comma; ऊंची बिल्डिंग और हाइवेज बनाने से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में लगातार वृद्धि हुई है और हमारी इन हरकतों का नतीजा झेलना पड़ रहा है इन छोटे-छोटे पक्षियों को &vert; <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कुल मिलाकर हमने इनके लिए बदतर हालात बना दिए हैं &vert;पक्षियों के विलुप्त होते ही मच्छर&comma; कीड़े और मकड़ियों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हो जाएगी क्योंकि इनको खाने वाली चिड़िया नहीं रहेंगी &vert; नतीजा यह होगा कि कीड़ों की वजह से आधी से ज्यादा फसलें बर्बाद हो जाएंगी &vert;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>पर्यावरण पर पड़ने वाला एक असर ये होगा कि पौधों की कई प्रजातियां भी विलुप्त हो जाएंगी&comma; पक्षी बीजों को एक-जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं जिससे पौधे उगते हैं आप देखेंगे की सुबह कभी पक्षियों की चहचाहट से होती थी। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>लेकिन अब धीरे-धीरे गौरेया जैसी प्रजाती लुप्त होने की कगार पर है&comma; इसके साथ कौआ की संख्या भी अब बहुत कम हो गई हैं &vert; पक्षियों की कमी तो सबने महसूस की होगी&comma; लेकिन उनको बचाने बहुत कम लोग ही आगे आए हैं।घटते जंगलों से पक्षियों का जीवन अस्त-व्यस्त होने लगा है &vert; <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>पेड़ों की घटती संख्या से पक्षियों को घरोंदे बनाने के लिए जगह तक नसीब नहीं हो पा रही है। इसके चलते पक्षी अपने घोंसले कहीं बिजली के खंबो पर उलझे तारों में बना रहे हैं&comma; तो कहीं रोड़ लाइटों पर।पक्षियों के लिए घड़ों पर छोटे-छोटे छेद कर घरोंदे बनाए&comma;पेड़ों पर परिधों के लिए परिंड़े बांधे&comma;परिड़ों को रोजाना साफ कर पानी भरें&comma;पक्षियों के लिए रोजाना चुगा ड़ाले।<&sol;p>&NewLine;

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