फाइलेरिया की चपेट में हाथी पांव के साथ जिंदगी जी रहीं रिंकू देवी एवं ललिता का दर्द

बलिया(संजय कुमार तिवारी): बांसडीह नगर पंचायत की रहने वाली रिंकू देवी ने बताया की 10 वर्ष पूर्व दूसरे बच्चे होने के बाद से पैर में सूजन के साथ गठिया का बनना एवं दर्द के साथ इस बीमारी की शुरुआत हुई। इलाज के लिए सरकारी हॉस्पिटल से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल तक दर-दर भटकने के बावजूद भी कहीं राहत महसूस नहीं हुई ज्यादा दिक्कत होने पर आयुर्वेदिक अस्पताल सिकंदरपुर में जाकर जांच कराई एवं आयुर्वेद का दवा का सेवन कर रही हैं।बाये पैर मे हाथीपांव हो गया। 10 साल से इस परेशानी के साथ जी रही हूँ । उठने-बैठने व चलने- फिरने में बहुत दिक्कत आ रही है। दवा के साथ ही जिंदगी गुजारनी पड़ रही है। इसी तरह राजपुर गांव की रहने वाली 60 वर्षीया ललिता ने बताया की बताया कि 40 वर्ष पूर्व पैर में दर्द एवं सूजन के साथ इस बीमारी की शुरुआत हुई कुछ समय पश्चात ऐसा लगा कि गठिया का बनना उसके उपरांत ऐसा महसूस होना की कमर से पैरों की तरफ यह बढ़ रहा है फाइलेरिया की शुरुआत हुई लेकिन अभी तक सरकारी अस्पतालों में जांच उन्होंने नहीं करवाई थी प्राइवेट में भटक भटक कर उन्होंने अपना इलाज करवाया लेकिन कोई राहत महसूस नहीं हुई। इस साल हुए एमडीए राउंड के दौरान आशा की उपस्थिति में इनको दवा खिलाई गयी एवं 12 दिन का डी इ सी भी दिया गया। दवा खाने के बाद राहत महसूस कर रही हैं। वह अब पड़ोसियों और रिश्तेदारों को फाइलेरिया की दवा खाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि जनपद के लिम्फोडिमा (हाथी पांव) के 489 मरीज हैं। एवं हाइड्रोसील के 207 मरीज हैं | उन्होंने बताया की जिले की कुल जनसंख्या 3359474 है। एम डी ए हेतु लक्षित जनसंख्या 2879845 है। 7 दिसंबर तक 2422683 लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाई जा चुकी है। माप अप राउंड 13 दिसंबर से शुरू हुआ है जो 18 दिसंबर तक चला ।मापप राउंड के दौरान 58215 लोगो की दवा खिलाई गयी | कुल 2480898 लोगो को फाइलेरिया की दवा खिलाई गयी जो लक्षित जनसँख्या का 86.15 प्रतिशत है दवा खाने के साथ ही लोगों को साफ सफाई के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है ।

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क्या है फाइलेरिया :

फाइलेरिया वेक्टरजनित रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने होता है। इसे लिम्फोडिमा (हाथी पांव) भी कहा जाता है। यह न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। शुरूआती दिनों में डाक्टर की सलाह पर दवा का सेवन किया जाए तो इसका परजीवी नष्ट हो जाता है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा एमडीए अभियान चलाया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर फाइलेरिया की दवा खिला रही हैं। इसके साथ ही घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखने, पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करने के प्रति भी जागरूक कर रही हैं।

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