पटना(न्यूज़ क्राइम 24): जदयू के प्रदेश प्रवक्ता प्रगति मेहता ने कहा कि जातिगत गणना कराया जाना किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि यह सबों के हित में सभी दलों की सहमति से लिया गया फैसला है. उन्होंने कहा की इन दिनों खासकर सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसके खिलाफ मुहिम चलाते हुए इसे विकास विरोधी बता रहे हैं, जबकि सच्चाई है कि जातिगत गणना के साथ ही राज्य सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण भी कराने का निर्णय लिया है जिससे लोगों की आर्थिक हालत की भी तस्वीर सामने आएगी.
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीति और सिद्धांत पर चलते हैं. लोगों के हित में जो भी कदम उठाना हो उससे वे पीछे नहीं हटते हैं. जब से वे मुख्यमंत्री हैं तब से उन्होंने राज्य की तरक्की और लोगों की खुशहाली के लिए एक से बढ़कर एक कदम उठाये हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर उनका खास फोकस रहा है तो साथ ही मानव के विकास के लिए भी कई योजनाएं चलाई गई हैं. केंद्र सरकार के स्तर से यदि देशभर में जातीय जनगणना कराई जाती तो इसका सभी लोगों को फायदा होता. लेकिन अब बिहार सरकार अपने स्तर से ही जातिगत गणना कराएगी. इससे सरकार को जातियों की सही संख्या का पता चलेगा, वहीं आर्थिक सर्वेक्षण से आर्थिक हालत का पता लगेगा. इससे समाज के निचले पायदान पर रह गए लोगों को आगे लाने में सहूलियत होगी. वह चाहे किसी जाति के लोग हों सरकार उनकी बेहतरी के लिए योजनाएं बनाएगी. ऐसे में जातीय गणना कराये जाने के सरकार के फैसले को लेकर किसी भी तरह के भ्रम में रहने की जरूरत नहीं है. यह सभी दलों की सहमति से ही हो रहा है. लेकिन अभी सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसे हैं जो इसे लेकर बेवजह जहर उगल रहे हैं. कुछ लोग इसे समाज में विद्वेष फ़ैलाने वाला बता रहे हैं जबकि सच्चाई इससे उलट है. इसलिए लोगों को जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण में पूरा सहयोग करना चाहिए।