फुलवारीशरीफ(अजीत यादव): त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रो सिद्धेश्वर प्रसाद का पटना में रविवार की शाम निधन हो गया. इनके निधन से गाँधीवाद का एक जीवंत स्तम्भ ढह गया है.
वे एक महान चिंतक, प्राध्यापक, मनीषी साहित्यकार और स्वच्छ राजनीति के दुर्लभ उदाहरण थे. इनका जन्म – 19 जनवरी, 1929 को हुआ था. इन्होंने पटना के भूतनाथ रोड स्थित आवास पर रविवार की शाम 6:00 बजे 94 साल की उम्र में अंतिम सांस ली.
पूर्व राज्यपाल प्रोफ़ेसर सिद्धेश्वर प्रसाद के निधन की खबर सुनकर राजनीतिक में शैक्षणिक सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई. विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया.
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉक्टर अनिल सुलभ ने प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद के निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि महाकवि जयशंकर प्रसाद की महान काव्य-कृति “कामायनी” पर लिखी गई उनकी समालोचना को हिन्दी साहित्य जगत में विशिष्ट स्थान प्राप्त है.
वे नालंदा से सांसद और भारत सरकार में मंत्री भी रह चुके थे.प्रो सिद्धेश्वर प्रसाद नागपुर में वर्ष १९७५ में आयोजित प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजक भी थे. बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से उनका गहरा संबंध था.वे जब तक स्वस्थ रहे सम्मेलन के आयोजनों में आते रहे और अपने विशद ज्ञान से लाभान्वित करते रहे .
उनके निधन से एक अभिभावक से छूटने जैसी अनुभूति हो रही है. वे राजनीति में पुरानी पीढ़ी के दृष्टान्त थे. उनका निधन राजनीति और साहित्य की अपुरनीय क्षति है.उन्होंने आज संध्या भूतनाथ रोड स्थित अपने आवास पर अपनी अंतिम सांस ली.