नवीनतम तकनीक से किसानों और पशुपालकों को जोड़ने हेतु विशेषज्ञों ने किया मंथन

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फुलवारीशरीफ, अजीत। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ़ फार्म एंड कम्पैनियन एनिमल्स द्वारा द्वितीय राष्ट्रीय सम्मलेन का आयोजन किया गया.”स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल स्मार्ट प्रौद्योगिकियों और प्रथाओं के माध्यम से पशुधन, मुर्गीपालन और एक्वा फार्मिंग द्वारा किसानों की आय बढ़ाने” हेतु आयोजित इस सम्मलेन में देश भर से वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया और महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि, प्रधान सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार डॉ. एन.विजयलक्ष्मी, कुलपति डॉ. रामेशवर सिंह, डीन, बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय डॉ.जे.के.प्रसाद और आयोजन सचिव डॉ. रवि रंजन कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस मौके पर सम्मलेन की स्मारिका और रिसर्च पेपर्स पर आधारित कम्पेडियम का विमोचन भी किया गया।

मुख्य अतिथी डॉ. एन.विजयलक्ष्मी ने कहा की पशुपालक और किसान समेकित कृषि को ज्यादा से ज्यादा अपनाएं. नए तकनीकों को उपयोग में लाने से उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी जिससे आमदनी भी बढ़ेगी. उन्होंने आगे कहा की कृत्रिम गर्भादान, भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक, मुर्गीपालन में लेयर फार्मिंग तकनीक, मत्स्यपालन में केज टेक्नोलॉजी, बायो-फ्लॉक तकनीक जैसे नवीनतम तकनीकों ने पशुपालन के क्षेत्र में एक क्रांति को जन्म दिया है, जो इस क्षेत्र को उन्नति की ओर ले जाने में सहायक सिद्ध हो रहा है.उन्होंने छात्रों से कहा की इन तकनीकों को अपनाने हेतु क्षेत्र में जाकर किसनों और पशुपालकों को जागरूक करें. उन्होंने तकनीक के माध्यम से राज्य में हो रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा की नस्ल सुधार और देशी नस्लों के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में राज्य बेहतर कर रहा है

विवि में राष्ट्रीय गोकुल मिशन से वित्त प्रदत इ.टी.टी. और आई.वी.एफ. लैब से एक अच्छे दुधारू नस्ल और उन्नत बुल मदर फार्म का निर्माण संभव हो पाया है. साथ ही सेक्स सॉर्टेड सीमेन के उपयोग से किसनों को अच्छे नस्ल मिल रहे है जिससे उनके जीविकोपार्जन को सबल मिला है. पूर्णिया सीमेन स्टेशन को देश का सबसे उन्नत सीमेन स्टेशन बताते हुए उन्होंने कहा की कुछ ही सालों में यह स्टेशन 50 लाख सीमेन डोज़ प्रति वर्ष प्राप्त करेगा और इसी कड़ी में विभाग का अगला लक्ष्य है बकरियों के लिए कृत्रिम गर्भादान स्टेशन की स्थापना करना, जिसके डीपीआर का जिम्मा प्रधान सचिव ने विश्वविद्यालय को सौपा।

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विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेशवर सिंह ने कहा की विश्वविद्यालय टीचिंग, लर्निंग, एक्सटेंशन और रिसर्च में बेहतर परिणाम हांसिल कर रहा है.विगत वर्षों में पशुपालन के क्षेत्र में हो रहे कार्यों से राज्य आत्मनिर्भरता से ऊपर उठते हुए सरप्लस परिणाम पाने में सक्षम हो पाया है.उन्होंने आगे कहा की कृषि के क्षेत्र में चालीस प्रतिशत योगदान पशुपालन का है और ये अकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है.पशुधन का क्षेत्र हमारे गाँव को कुपोषण से मुक्त, गरीबी से छुटकारा और जीविकोपार्जन का एक सशक्त माध्यम बना है.

उन्होंने इस अवसर पर क्लाइमेट चेंज, जनसँख्या वृद्धि, बढ़ते प्रदूषण को इस क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बताया, और कहा की इन्हीं मुद्दों पर चर्चा कर इनके निदान हेतु इस समेल्लन का आयोजन किया गया गया है ताकि हम उन बिंदुओं पर चर्चा कर सके. इससे हमारा फ़ूड प्रोडक्शन सिस्टम पुनः उन्मुख हो सके, वातावरण को स्वच्छ बना सके, वन जीवों की घटते तादाद को काम करने पर ठोस निर्णय ले सके साथ ही जैव-विविधता को बढ़ाने पर बल दे सके।

बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. जे.के प्रसाद ने इस अवसर पर कहा की इस आयोजन के माध्यम से हम किसानों के आय को दोगुनी करने हेतु अपनाये जाने वाली स्थायी और इको-फ्रेंडली पद्धतियों पर चर्चा करेंगे ताकि हम उन्हें लाभान्वित कर सके. साथ ही एक ऐसा मंच तैयार कर रहे है जहां इंडस्ट्री, अकादमिक और किसान एक साथ आ सके और किसान, पशुपालक खुद को बाजार के मांग के अनुरूप तैयार कर सके। कार्यक्रम के शुरुआत में सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. रवि रंजन कुमार सिन्हा ने वहां मौजूद सभी अतिथियों का स्वागत किया।

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