अररिया, रंजीत ठाकुर। गर्भधारण के बाद सभी महिलाएं सामान्य व सुरक्षित प्रसव की चाहत रखती हैं। लेकिन उनके लिये ये उतना आसान नहीं होता। सुरक्षित व सामान्य प्रसव के लिये गर्भवती महिलाएं सहित उनके परिजनों को बेहद सतर्क व सचेत रहने की जरूरत होती है। दरअसल सामान्य व सुरक्षित प्रसव के लिये गर्भवती महिलाओं का शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। एक स्वस्थ मां ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं। लिहाजा गर्भवती महिलाओं को अपने आहार, व्यवहार, रहन-सहन सहित अपनी सेहत का विशेष ख्याल रखना जरूरी होता है। सुरक्षित व सामान्य प्रसव की चाहत रखने वाली गर्भवती महिलाओं के लिये पौष्टिक व प्रोटीन युक्त आहार का सेवन जरूरी होता है। साथ ही उन्हें नियमित अंतराल पर अपनी स्वास्थ्य जांच कराते हुए व्यक्तिगत स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है।
नियमित अंतराल पर स्वास्थ्य जांच जरूरी-
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि सुरक्षित व सामान्य प्रसव के लिये गर्भवती महिलाओं का शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। इसके लिये नियमित अंतराल पर जांच जरूरी है। पूरे प्रसव काल में कुल चार एएनसी जांच सुरक्षित व सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसे लेकर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रत्येक महीने में दो बार विशेष अभियान संचालित किया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक सप्ताह आयोजित होने वाले आरोग्य दिवस व नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र से संपर्क स्थापित कर विभाग द्वारा उपलब्ध कराये जा रही विभिन्न सेवाओं का लाभ आसानी से हासिल किया जा सकता है।
सुनियोजित तरीके से बनायें गर्भधारण की योजना-
सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ राजेंद्र कुमार बताते हैं कि गर्भावस्था किसी महिला के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसलिये महिलाओं को सुनियोजित तरीके से गर्भधारण की योजना बनानी चाहिये। इसकी तैयारी गर्भधारण से दो-तीन महीना पूर्व ही शुरू कर देनी चाहिये। गर्भधारण के लिये महिलाओं का शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना बेहद जरूरी होता है। इससे गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक किसी अनावश्यक परेशानियों से बचा जा सकता है। इसमें किसी तरह की लापरवाही जच्चा व बच्चा दोनों के लिये नुकसानदेह साबित हो सकता है।
सही उम्र में गर्भधारण से कई परेशानियों से निजात संभव
सदर अस्पताल की महिला चिकित्सक स्नेहा किरण कहती हैं कि गर्भधारण के लिये महिलाओं का सही उम्र होना बेहद जरूरी होता है। कम उम्र में गर्भधारण से समय पूर्व प्रसव का खतरा अधिक होता है। इस कारण प्रसव के दौरान कई तरह की जटिलताओं व परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिये कम से कम 20 वर्ष की आयु के बाद ही गर्भधारण की योजना बनानी चाहिये।
इतना ही नहीं गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इसलिये इस दौरान पौष्टिक आहार के सेवन की सलाह दी जाती है। दैनिक खान-पान में प्रोटीन, आयरन, कैल्सियम व फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन को प्राथमिकता दी जानी चाहिये। साथ ही सामान्य दिनों की तुलना में इस दौरान महिलाओं को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए। योग, मेडिटेशन व हल्का-फुल्का व्यायाम भी सुरक्षित व सामान्य प्रसव के लिहाज से जरूरी होता है।