सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच वाल्मी, फुलवारीशरीफ पटना के 9 वां स्थापना दिवस पर रंगारंग कार्यक्रम

फुलवारीशरीफ(न्यूज क्राइम 24): सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच वाल्मी, फुलवारीशरीफ पटना के 9 वां स्थापना दिवस में लोक संगीत, लोक नृत्य एवं रंगनाट्योत्सव का आगाज बिहार आर्ट थियेटर पटना में किया गया। कार्यक्रम का शुरुआत गणेश वंदना- मोनिका, पूजा, श्रुति, पंखुड़ी, अनुष्का एवं राधा कृष्ण की झांकी से वहां उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. राजकुमार नाहर निर्देशक आकाशवाणी पटना, दूरदर्शन केंद्र पटना एवं मुजफ्फरपुर, कुमार अभिषेक रंजन महासचिव बिहार आर्ट थियेटर पटना एवं मंच के सचिव महेश चौधरी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुरुआत किया।
अतिथि को माल्यार्पण के उपरांत अंगवस्त्र एवं पौधा देकर सम्मानित किया गया।

सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच के सचिव महेश चौधरी ने इस अवसर पर कहा की इस मंच का निर्माण लोगों में सांस्कृतिक चेतना लाकर उन्हें अपनी मिट्टी, परंपरा और सभ्यता से जोड़ना है। सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से समाज को जगाना और उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ना ही हमारा उद्देश्य है। इसके तहत पिछले 9 वर्षों से हर लोगों को मंच से जोड़कर एकता के सूत्र में बांधे रखने का काम किया जा रहा है इस अवसर पर मंच के कलाकारों द्वारा प्रार्थना इतनी शक्ति हमें दे ना दाता में.. दिव्यांशी, अनन्या, अथर्व, देवदर्शन, सक्षम, मोनिका एवं दृश्य के प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

धक-धक धरती डांस, परदा है परदा.. सौरभ राज,अमन, करण, प्रमोद, सौरभ पांडे, वीर के मनमोहक प्रस्तुति से सभागार तालियों से गूंज उठा। डांस का भूत सॉन्ग- किड्स ग्रुप,चांदी जैसा रंग है तेरा.. सौरभ राज, राजस्थानी डांस- मोनिका राज, पूजा, पल्लवी, अनुष्का, दिव्या, सुनीता, शिखा लोकगीत- पिया परदेसिया आई है ना.. ओ ओ जाने जाना डिस्को दीवाने.. गोविंदा मैशअप.. काली काली जुल्फों एवं दमा दम मस्त कलंदर..मोनिका ने अपनी गायकी से दर्शकों को खूब झूमाया।

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नाटक में मंच के कलाकारों ने प्रबोध जोशी द्वारा लिखित एवं महेश चौधरी द्वारा निर्देशित “पागल” नाटक का मंचन किया। इस नाटक के द्वारा यह दिखाया गया कि एक बड़े फिल्म निर्माता ‘पागल’ विषय पर फिल्म बनाने जा रहे थे। गांव के तीन युवक जो अच्छे अभिनेता थे मिस्टर वर्मा के सौजन्य से इस फिल्म में पागल की भूमिका के लिए बुलाया जाता है। तीनों युवक विनोद (वीरेंद्र कुमार), शायर (रोहन राज), मद्रासी (दिलीप देशवासी) ने अपने अभिनय से फिल्म निर्देशक (धर्मेंद्र पंडित) को काफी प्रभावित करता है लेकिन फिल्म निर्देशक इन तीनों युवकों को अपने फिल्म में नहीं लेना चाहता है क्योंकि ये युवक नामी (मसहूर) अभिनेता नहीं है।

फिल्म निर्देशक सिर्फ नामी-गिनामी अभिनेताओं को लेना चाहता था लेकिन इन युवकों के द्वारा किए गए पागल का अभिनय निर्देशक को प्रभावित करता और उसी तरह का अभिनय मशहूर नामी अभिनेता से अपनी फिल्म करवाना चाहता है लेकिन फिल्म निर्देशक की आंखें उस समय खुलती है जब तीनों युवकों को द्वारा यह बताया जाता है कि आप क्या थे डायरेक्टर साहब, आप ऐसे ही नहीं बड़े हो गए आप भी नीचे से ऊपर आए हैं।

ताजमहल को किसने बनवाया?असंख्य, अनगिनत, शिल्पियों द्वारा किंतु नाम किसका होता है शहंशाह शाहजहां का और उन हजारों मजदूरों के हाथ की उंगलियां तराश ली गई ताकि दूसरा ताजमहल नहीं बना सके आज भी यही हो रहा है बड़े-बड़े डैम, ओवरब्रिज उन मजदूरों के द्वारा बनाया जाता है लेकिन नाम किसका होता है? उद्घाटन करने वालों का, फीता काटने वालों को।

इस कॉमेडी नाटक में सभी कलाकारों की भूमिका को दर्शकों द्वारा पसंद किया गया और खूब तालियां बटोरी। सभी कलाकारों, क्षेत्रीय विद्यालय के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं, चिकित्सकों को चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए, मूर्ति कला, पत्रकारिता और सामाजिक क्षेत्र में सराहनीय कार्य के लिए पर्यावरण संरक्षण हेतु पौधा देकर सम्मानित किया गया। अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ई. विजय कुमार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

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