क्षमता विकास सह चूजा वितरण कार्यक्रम का आयोजन, ग्रामीण किसानों को मिला आत्मनिर्भरता का संदेश

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>फुलवारीशरीफ&comma; अजित।<&sol;strong> भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशालय पोल्ट्री अनुसंधान &lpar;डीपीआर&rpar; हैदराबाद द्वारा प्रायोजित एआईसीआरपी ऑन पोल्ट्री ब्रीडिंग परियोजना के अंतर्गत क्षमता विकास सह चूजा वितरण कार्यक्रम का सफल आयोजन गुरुवार को परसा बाजार के छतना गांव में किया गया&period; यह कार्यक्रम अनुसूचित जाति उप-योजना घटक के तहत बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय&comma; पटना द्वारा संचालित परियोजना के अंतर्गत आयोजित हुआ।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस कार्यक्रम में 20 अनुसूचित जाति कृषक परिवारों को बैकयार्ड पोल्ट्री पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पोल्ट्री चूजे&comma; फीडर&comma; वाटरर तथा आवश्यक औषधियों से युक्त प्रारंभिक किट प्रदान की गई&period; इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को पोषण एवं आजीविका सुरक्षा के साथ आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाना है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कार्यक्रम में डॉ&period; पंकज कुमार सिंह&comma; परियोजना के प्रमुख अन्वेषक&semi; डॉ&period; विजय कुमार&comma; प्रधान वैज्ञानिक&comma; आईसीएआर-डीपीआर हैदराबाद&semi; डॉ&period; वाई&period;एस&period; जादौन&comma; उपनिदेशक &lpar;प्रशिक्षण&rpar;&comma; प्रसार शिक्षा निदेशालय&semi; तथा डॉ&period; पुष्पेन्द्र कुमार सिंह&comma; सह-प्रधान अन्वेषक&comma; सहित स्नातकोत्तर छात्र एवं सहायक स्टाफ उपस्थित रहे।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस अवसर पर डॉ&period; पंकज कुमार सिंह ने किसानों को परियोजना के उद्देश्यों से अवगत कराते हुए बैकयार्ड पोल्ट्री पालन को लाभदायक और टिकाऊ उद्यम के रूप में अपनाने का आग्रह किया&period; डॉ&period; विजय कुमार ने वैज्ञानिक प्रबंधन पद्धतियों पर विस्तृत जानकारी दी&comma; वहीं डॉ&period; वाई&period;एस&period; जादौन ने विश्वविद्यालय की प्रसार सेवाओं का उल्लेख करते हुए किसानों को पोल्ट्री उद्यमिता विकास में भागीदारी के लिए प्रेरित किया।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कार्यक्रम का समन्वय डॉ&period; पुष्पेन्द्र कुमार सिंह ने किया&period; समापन सत्र में चर्चाओं और प्रदर्शन के माध्यम से प्रतिभागी किसानों को पोल्ट्री पालन की तकनीकी जानकारी दी गई&period; कार्यक्रम ने ग्रामीण किसानों में बैकयार्ड पोल्ट्री पालन को एक व्यवहारिक&comma; उद्यमशील एवं आयवर्धक गतिविधि के रूप में अपनाने की दिशा में नया उत्साह और जागरूकता पैदा की।<&sol;p>&NewLine;

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