फुलवारीशरीफ, अजित। बिहार झारखंड बंगाल उड़ीसा के मुसलमानो की सबसे बड़ी एदारा इमारत शरिया के अमीर ए शरीयत हजरत मौलाना अहमद अली फैसल रहमानी ने कहां की वक्फ बिल संशोधन आर एस एस की नीतियों पर चलकर केंद्र सरकार के द्वारा मुसलमानो को उनके वक्फ़ के अधिकारों और वक्फ़ की संपत्तियों से बेदखल करने की बड़ी साजिश है. उन्होंने एक ऑन लाइन जूम बैठक के जरिए देश भर के मुस्लिम एदारों के विद्वानों से बातचीत के जरिए संदेश देने का काम किया है कि वक्फ़ बिल संशोधन के खिलाफ मुसलमान को एकजूटता दिखाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि आगामी 15 सितंबर को इस बिल संशोधन के खिलाफ एक मुहिम के तहत सरकार और अवाम के सामने इसकी सच्चाई लाने के लिए पटना के बापू सभागार में बड़ा सम्मेलन होगा.
हजरत अमीर शरीयत ने कहा कि वक्फ बिल संसोधन में भाजपा की मुसलमान के खिलाफ पर रची जा रहे साजिश के संबंध में कांग्रेस पार्टी के अलावे लोजपा रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान और एन चंद्रबाबू नायडू से भी बातचीत हो गई है. उन्होंने बताया कि संबंध में जल्द ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे. वक्फ का बिल संशोधन की असलियत को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने पूरी विस्तार से अपनी बातों को रखेंगे और मुसलमान समुदाय के हितों की रक्षा की मांग करेंगे. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए उन्होंने समय मांगा है. इस ऑन लाइन जूम बैठक को संबोधित करते हुए नायब अमीर शरीयत हजरत मौलाना मुहम्मद शमशाद रहमानी कासमी ने अवकाफ (वक्फ )के इतिहास और इसकी शरीयत स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज जब अवकाफ की जमीनों को हमसे छीनने की योजना बनाई जा रही है तो हमें पूरी तरह से जागने और उठने की जरूरत है. इसके अलावा ईमारत शरिया की नीतियों और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नीतियों पर चलकर जवाब देने की जरूरत है.
इस ऑन लाइन बैठक में मौलाना अहमद हुसैन कासमी मदनी,कोलकाता के इमाम मौलाना कारी शफीक अहमद,सर अब्दुल कुदुस साहब कटक ओडिशा,शाहनवाज अहमद खान, मौलाना जुनैद अहमद कासमी,मौलाना मशहुद अहमद कादरी नदवी, प्रिंसिपल मदरसा इस्लामिया शमसुल हुदा, पटना ने बिहार के मुख्यमंत्री के साथ सभी संगठनों के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल की बैठक का सुझाव पेश किया. इस बैठक में नाजिम इमारत शरिया मौलाना शिबली अल कासमी ने भी अपने विचार व्यक्त किए.
वक्फ मुद्दों पर बिहार के मुख्यमंत्री से मिले ऑल इंडिया नेशनल काउंसिल के उपाध्यक्ष मौलाना अनीसुर रहमान कासमी
केंद्र सरकार के नए प्रस्तावित वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 को लेकर अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिषद के उपाध्यक्ष हजरत मौलाना अनीसुर रहमान कासमी ने रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के आवास पर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की.उन्होंने मुख्यमंत्री से वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में सुधार की मांग की. इसी तरह, मौलाना ने जेपीसी के सदस्य सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी से भी बात की और उन्हें जेपीसी के अन्य सदस्यों के साथ उनकी स्थिति से अवगत कराया।
उन्होंने मुख्यमंत्री से वक्फ के नए संशोधन बिल के संबंध में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने कहा कि वक्फ मुसलमानों की पूजा प्रणाली और इस्लाम के अनुष्ठानों, मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों से संबंधित भूमि पर स्थापित हैं. यह एक इस्लामी परंपरा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करता है. वक्फ का मकसद सिर्फ धार्मिक मामले ही नहीं बल्कि आम लोगों की सेवा और कल्याण भी है. साथ ही इसे इस्लाम में इबादत का दर्जा दिया गया है और अधिकांश धार्मिक मामले इसी से संबंधित हैं.नए बिल में कुछ ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं जो वक्फ की प्रकृति और स्थिति को कमजोर कर रहे हैं.उदाहरण के लिए वक्फ की परिभाषा में पांच साल तक मुस्लिम होने की सीमा वक्फ की प्रकृति और स्थिति पर ही सवालिया निशान खड़ा करती है. कलेक्टर को ट्रिब्यूनल की शक्तियां कम करने से नए विवाद पैदा होंगे और विवाद समाधान में नई जटिलताएं पैदा होंगी. इसलिए, वक्फ बोर्ड और ट्रिब्यूनल की शक्तियों को कम नहीं किया जाना चाहिए।
वक्फ की संपत्ति को हड़पना चाहती है सरकार : नशूर अजमल
आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरात, बिहार के उपाध्यक्ष सैयद नशूर अजमल ‘नुशी’ ने कहा है कि संसद में पेश और संयुक्त संसदीय समिति के हवाले किया गया वक्फ संशोधन बिल 2024 में सुझाये गये अक्सर सुझाव वक्फ संपत्ति पर सरकार के कब्जे को मजबूत कर वक्फ बोर्ड के अधिकारों को लगभग समाप्त करने वाला है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन बिल मोदी सरकार का एक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम है जिसका हर सेक्यूलर पार्टी और व्यक्ति को विरोध करना चाहिए.
उन्होंने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि विपक्ष, विशेषकर जेडीयू और टीडीपी जैसे एनडीए सहयोगी दल इसका विरोध करेंगे.मशावरात के उपाध्यक्ष ने कहा, “हमारा मानना है कि संविधान मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी विरासत और धार्मिक प्रथाओं का संचालन और संरक्षण करने की अनुमति देता है. ऐसा लगता है कि इस विधेयक को इसके प्रमुख हितधारकों के साथ बिना ठोस विमर्श के बिना ही तैयार किया गया है।
उन्होंने कहा कि हमारा यह मानना है कि वक्फ ऐक्ट 1995 वक्फ की संपत्ति की सुरक्षा और संरक्षा के लिए जरूरी है और उसके प्रावधानों को लागू करने की जरूरत है.ऐसा न कर मोदी सरकार संशोधन बिल से वक्फ ऐक्ट 1995 के तहत प्रदत्त वक्फ बोर्ड के अधिकारों को हड़पना चाहती है। श्री अजमल ने कहा की संशोधन बिल को ध्यान से देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह विधेयक वक्फ के मामले में ट्रिब्यूनल को वस्तुतः निष्प्रभावी कर ‘कलेक्टर राज‘ स्थापित करने वाला है. इसमें कलेक्टर को असीमित अधिकार दिये गये हैं जबकि कलेक्टर पहले से अपने कामों के बोझ तले दबे होेते हैं।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि कलेक्टर राजनीतिक प्रभाव के तहत काम करते हैं, ऐसे में उनसे विशेषकर उन वक्फ संपत्तियों के बारे में निष्पक्षता की उम्मीद नहीं जिन पर सरकार के कब्जे का आरोप लगा होता हैै। उन्होंने आशंका व्यकत की कि ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम, 1995 में प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता को कम करना है।