बिहार

भरगामा प्रखंड में एक भी पंचायत सरकार भवन समय से नहीं खुलता, सभी कर्मी भी नहीं बैठते

अररिया, रंजीत ठाकुर। जिले के भरगामा प्रखंड के शंकरपुर,खुटहा बैजनाथपुर एवं मानुल्लाहपट्टी पंचायत सरकार भवन में समय से नहीं बैठते कोई कर्मी। करोड़ों रुपये की लागत से बना यह पंचायत सरकार भवन सुचारू रुप से नहीं चल रहा है। पंचायत के ग्रामीण ठगा महसूस कर रहे हैं। जब पंचायत सरकार भवन का निर्माण हुआ था तो लोगों को लगा कि पंचायत स्तर का जितना कार्य होगा,उससे राहत मिलेगी। वर्षों गुजर गए ना तो सरकार भवन में राजस्व कर्मचारी,पंचायत सचिव,आवास सहायक,विकास मित्र आदि बैठते हैं,ना पंचायत के प्रतिनिधि।

ग्रामीण निलेश कुमार,अरुण कुमार,संजीव कुमार आदि ने बताया कि यहां नियमित रुप से कोई भी कार्य नहीं होती है। क्यूंकि कोई भी कर्मी समय से कार्यालय नहीं आते हैं। कभी-कताल घंटे भर के लिए हीं आते हैं। ग्रामीण परेशान हैं,परंतु कोई उनका सुनता नहीं है। छोटे से कार्य के लिए ग्रामीणों को प्रखंड सह अंचल कार्यालय का दौड़ लगाना पड़ता है। करोड़ों रुपये की लागत से बना पंचायत सरकार भवन लोगों को मुंह चिढ़ा रही है। पूछने पर स्थानीय प्रतिनिधि ने बताया कि पंचायत सरकार भवन में कर्मी नहीं आते हैं,जिस कारण ग्रामीणों का कार्य नहीं हो पाता है।

उक्त बातें का जब हमारे टीमों ने 22 नवंबर बुधवार को पड़ताल किया तो 12 बजकर 13 मिनट तक शंकरपुर पंचायत सरकार भवन में ताला लटका हुआ मिला। जबकि खुटहा बैजनाथपुर पंचायत सरकार भवन का 01 बजकर 38 मिनट पर पड़ताल किया तो कार्यपालक सहायक श्वेता कुमारी,राजस्व कर्मचारी संजीव कुमार को छोड़कर अन्य कर्मी गायब मिले। हालांकि इन कर्मी ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि यहां इंटरनेट की कोई सुविधा नहीं है,जिसके वजह से ऑनलाइन कोई कार्य नहीं हो पाता है।

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जबकि हर कार्य को ऑनलाइन हीं करना पड़ता है। इसी प्रकार मानुल्लाहपट्टी पंचायत सरकार भवन का 02 बजकर 35 मिनट पर पड़ताल किया गया तो कार्यपालक सहायक मोनिका कुमारी को छोड़कर अन्य सभी कर्मी गायब मिले। जबकि प्रशासनिक सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के आधार पर बता दें कि हर एक पंचायत में पदस्थापित कर्मी का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। जिसमें बीडीओ भी जुड़े हुए हैं। इसी ग्रुप में सभी कर्मी अपना-अपना फोटो डालकर पंचायत में उपस्थित होने का उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। लेकिन गुप्त सूत्र बताते हैं कि यह फोटो पहले से हीं अपने मोबाइल में खींच कर रखा जाता है।

और बीडीओ द्वारा जब कर्मी से पंचायत में उपस्थित होने का साक्ष्य के तौर पर फोटो की मांग किया जाता है तो कर्मी द्वारा पहले से खींचा हुआ फोटो उस ग्रुप में डाल दिया जाता है। जिसके बाद बीडीओ संतुष्ट हो जाते हैं,कि उनके सारे कर्मी ड्यूटी पर उपस्थित हैं। जबकि सच्चाई कुछ और हीं होता है। उधर डीपीआरओ धनंजय कुमार से पूछने पर बताया जल्द हीं सुचारू रुप से कार्य को संचालन कराया जाएगा। और बिना कोई सूचना के ड्यूटी से गायब रहने वाले कर्मी पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने ग्रामीणों से भी आग्रह किया है,कि वे भवन को क्षति न पहुंचाएं। सरकार चाहती है कि ग्रामीणों को पंचायत मुख्यालय से हर कार्य हो।

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