बिहार

एचआईवी एड्स नियंत्रण संबंधी उपायों की मजबूती के लिये सामूहिक प्रयास जरूरी

अररिया, रंजीत ठाकुर। अररिया जिले में एचआईवी एड्स नियंत्रण संबंधी उपायों की मजबूती को लेकर राज्य एड्स नियंत्रण समिति पटना के निर्देश पर महत्वपूर्ण विभागीय बैठक मंगलवार को संपन्न हुई। जिला एड्स नियंत्रण बचाव व नियंत्रण इकाई अररिया द्वारा मुख्यधारा कार्यक्रम के तहत आयोजित बैठक में संबद्ध विभिन्न विभागों के साथ एचआईवी एड्स नियंत्रण व सामाजिक सुरक्षा विषय पर विस्तृत चर्चा की गयी। जिला स्वास्थ्य समिति सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने की। सिविल सर्जन सहित एसीएमओ डॉ राजेश कुमार, डीआईओ डॉ मोईज, डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में ब्लड बैंक अररिया के प्रभारी पदाधिकारी डॉ राजेंद्र प्रसाद, एसएमओ डब्ल्यूएचओ डॉ शुभान अली, पीओ प्रसून कुमार मिश्र, एचएलएफपीपीटी एसएमसी यूनिसेफ आदित्य कुमार, पिरामल स्वास्थ्य के डीटीएल संजय कुमार झा, मो रिजवान, मुरलीधर साह, पंकज कुमार, सहित सभी एमओआईसी व संबद्ध अधिकारी व कर्मी मौजूद थे।

एचआईवी महज स्वास्थ्य नहीं समग्र विकास से जुड़ा मामला


सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि एचआईवी एड्स का कोई समुचित इलाज उपलब्ध नहीं है। जानकारी ही इससे बचाव का जरिया है। एचआईवी महज स्वास्थ्य नहीं बल्कि समग्र विकास से जुड़ा संवेदनशील मामला है। इसलिये इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस सहित संबद्ध अन्य विभागों के बीच परस्पर समन्वय व एकजुट प्रयास जरूरी है। आम लोगों को एचआईवी के खतरों के प्रति जागरूक करने के लिये जागरूकता संबंधी गतिविधियों में तेजी लाने के साथ सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाना जरूरी है।

एचआईवी संक्रमितों को टीबी व डायबिटीज का खतरा अधिक –

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जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मोईज ने कहा कि एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम हो जाती है। इससे संक्रमित मरीजों का टीबी, डायबिटीज सहित अन्य जटिल रोगों की चपेट में आने का खतरा अधिक होता है। मरीजों का नियमित फॉलोअप व नियमित दवा सेवन सुनिश्चित कराने पर उन्होंने जोर दिया। वहीं एसीएमओ डॉ राजेश कुमार ने कहा कि वर्ष 2030 तक देश को एड्स मुक्त करने व संक्रमण के नये मामलों को 75 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित है। उन्होंने कहा कि एचआईवी सक्रमित मां से बच्चों में होने वाले एचआईवी के प्रसार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये प्रथम तिमाही में गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच जरूरी है। इसका अनुपालन हर हाल में सुनिश्चित कराने की जरूरत है।

संक्रमितों इलाज व जीविकोपार्जन संबंधी गतिविधियों से जोड़ना जरूरी-

डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि सामूहिक प्रयास से ही एचआईवी पर प्रभावी नियंत्रण संभव है। विभिन्न विभागों के स्तर से जागरूकता संबंधी गतिविधियों में तेजी लाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि संक्रमित व्यक्तियों के साथ किसी तरह के भेदभाव को दूर करते हुए उन्हें इलाज व जीविकोपार्जन से जुड़ी जरूरी सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में जरूरी पहल की जा रही है। संक्रमितों तक जरूरी मदद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विभिन्न विभागों द्वारा एचआईवी एड्स सेल का गठन किया जाना है। साथ विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से उन्हें आच्छादित करने की पहल जरूरी है। एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों की शिकायत निवारण हेतु गठित जिला शिकायत निवारण समिति, जिला शिकायत पदाधिकारी को प्राप्त शिकायत पर त्वरित कार्यवाई सुनिश्चित कराना। इसी तरह पीएचसी व सीएचसी स्तर पर शिकायत निवारण समिति का गठन किया गया है।

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