बागवानी के क्षेत्र में बिहार का राष्ट्रीय पटल पर अलग पहचान बना : कुमार सर्वजीत

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong><mark style&equals;"color&colon;&num;cf2e2e" class&equals;"has-inline-color has-vivid-red-color">फुलवारीशरीफ&lpar;अजीत यादव&rpar;&colon;<&sol;mark><&sol;strong> बिहार के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि बागवानी के क्षेत्र में बिहार में पूरे देश भर में राष्ट्रीय पटल पर एक अपनी अलग पहचान बनाई है &period;राज्य में अनुकूल जलवायु एवं मिट्टी के कारण बागवानी फसलों के उत्पादकता बढ़ाने की अपार संभावनाएँ हैं और इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है&period; यद्यपि उद्यान निदेशालय के द्वारा अन्य निदेशालयों&comma; विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर बागवानी विकास के चुनौतियों को पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं&period;<br><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत चतुर्थ कृषि रोड मैप में उद्यान से संबंधित घटकों पर चर्चा विषय पर कृषि भवन&comma; मीठापुर&comma; पटना के सभागार में आयोजित कार्यक्रम मे उपरोक्त संबोधन दे रहे थे &period;कृषि मंत्री ने कहा की किसानों&sol;एफपीसी को उनके उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त हो&comma; इसके लिए राज्य में बाजार संपर्क बढ़ाने का प्रयास किया जायेगा&period; उत्तम कृषि क्रियाएँ&comma; प्रौद्योगिकी&comma; बेहतर तकनीकी आदि पर जागरूकता निर्माण और ज्ञान प्रसार को प्राथमिकता दी जाएगी&period; कृषि मंत्री ने बताया की राज्य में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति&comma; सामुदायिक बोरवेल&comma; मल्चिंग और ट्रेंचिंग योजनाओं को कन्वर्जेन्स के रूप में कार्यान्वित किया जायेगा&period;उन्होंने विभाग के योजनाओं का लाभ गरीब किसानों को प्राथमिकता के आधार पर देने का निर्देश दिया &period;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p> साथ ही कृषि पदाधिकारियों को क्षेत्र भ्रमण करने का निर्देश दिया ताकि विभागीय योजनाओं का अनुश्रवण जमीनी स्तर तक किया जा सके&period;इतना ही नही उन्होंने अधिकारियों को किसानों से सुझाव लेने का भी निर्देश दिया है&period;मंत्री श्री कुमार ने कहा की आवेदन प्राप्ति के लिए दस्तावेजों का सरलीकरण किया जायेगा ताकि अधिक-से-अधिक गरीब किसानों को लाभ आसानी से मिल सके &period; उन्होंने कहा की मधुमक्खीपालन कृषि उत्पादकता में सुधार के अलावा&comma; शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों की बिक्री से आय प्रदान करके ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है&period;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p> राज्य सरकार द्वारा गुणवत्तापूर्ण शहद उत्पादन और कॉलोनी प्रबंधन पर मधुमक्खी पालकों को सलाह और प्रशिक्षण&comma; मधुमक्खीपालकों को मधुमक्खी के बक्सों&comma; छत्तों और शहद निकालने वाले खाद्य ग्रेड कंटेनरों का वितरण शामिल है&period; अभिसरण पहल के तहत् वेजफेड&comma; कम्फेड&comma; जीविका और अन्य एफ0पी0ओ0&sol;एम0पी0सी0 के तहत समूहों के मधुपालकों को प्राथमिकता के आधार पर सहायता दी जाएगी&period;मंत्री ने बताया की राज्य में सब्जी के विकास के लिए उत्पादन और उत्पादकता दोनों में वृद्धि अनिवार्य है&period; इसे प्राप्त करने के लिए किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौध का वितरण&comma; अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित विशिष्ट किस्मों का वितरण&comma; संरक्षित संरचनाओं &lpar;पॉली हाउस&comma; शेड नेट हाउस&rpar; की स्थापना को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है&period; बिहार में खरीफ फसल के साथ अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित प्याज के विशिष्ट किस्मों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है &period;<br><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>मंत्री ने कहा की राज्य सरकार द्वारा विशिष्ट फसल&sol;उत्पाद आधारित सात आदर्श बागवानी केन्द्र &&num;8211&semi; शहद&comma; पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट&comma; मशरूम&comma; मखाना&comma; आम&comma; सब्जी एवं फल&comma; स्थापित करने की योजना है&period; इन कार्यों के अलावा बागवानी फसलों के क्षेत्र विस्तार&comma; मशरूम उत्पादन&comma; फसलोत्तर प्रबंधन एवं बाजार के लिए बुनियादी ढाँचे&comma; प्रसंस्करण इकाइयों&comma; सूक्ष्म सिंचाई&comma; प्रशिक्षण&comma; एक्सपोजर विजिट&comma; प्रदर्शनी&comma; प्रत्यक्षण सहित कई घटकों के विकास कार्यक्रम संचालित किया जायेगा&period; राज्य सरकार द्वारा फल&comma; फूल&comma; मसाला&comma; सगंधीय पौधे&comma; चाय&comma; मखाना&comma; पान&comma; अदरख&comma; ओल&comma; हल्दी आदि उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र विस्तार की जायेगी&period;अगले पाँच वर्षों में 1&comma;88&comma;000 किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और 205 से अधिक बागवानी संगोष्ठियों&sol;सम्मेलनों&sol;कार्यशालाओं&sol;प्रदर्शनियों &lpar;राज्य स्तर&comma; प्रमण्डल स्तर&comma; जिला स्तर&comma; राज्य के बाहर&comma; राष्ट्रीय और विदेशों में&rpar; का आयोजन&sol;भागीदारी राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा&period;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>मंत्री ने कहा कि राज्य में सेंटर आफ एक्सीलेंस&comma; चंडी एवं देसरी सरकारी तथा निजी कंपनी की भागीदारी के माध्यम से स्व-स्थायी मॉडल पर चलने वाली संस्था का एक सफल उदाहरण बने है&period; गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री उत्पादन हेतु आधारभूत संरचना यथा-प्रखंड उद्यान नर्सरी&comma; प्रोजनीबाग नर्सरी&comma; प्लग-टाइप नर्सरी और पान अनुसंधान केन्द्र की सुदृढ़ीकरण पर जोर दे &comma; ताकि रोपण सामग्री उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सके और स्वस्थ&comma; सस्ती और समय पर रोपण सामग्री राज्य के किसानों को उपलब्ध हो सके&period; <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>छोटे और सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से मधुमक्खी पालन&comma; सब्जी विकास घटकों में क्लस्टर दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जाएगा&period; संसाधनों के प्रभावी और कुशल उपयोग और किसानों तक अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए अन्य सरकारी योजनाओं&sol;कार्यक्रमों के साथ कन्वर्जेंस की पहल की जाएगी&period;सेन्टर आॅफ एक्सेलेंस को गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री के उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने का भी निर्देश दिया &period;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इस अवसर पर प्रधान सचिव&comma; कृषि विभाग डाॅ॰ बी॰ राजेन्दर&comma; कृषि निदेशक डाॅ॰ आलोक रंजन घोष&comma; निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार&comma; संयुक्त निदेशक&comma; उद्यान राधा रमण&comma; सभी जिलों के सहायक निदेशक&comma; उद्यान सहित अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे&period;<&sol;p>&NewLine;

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